फ़टाफ़ट डेस्क। कोरोना वायरस का संक्रमण दुनियाभर में बढ़ते ही जा रहा हैं। रोजाना बढ़ा रहे कोरोना मामलों को लेकर वैज्ञानिक भी चिंता में आ गए हैं। कोरोना वायरस के इलाज के लिए दुनिया भर में वैक्सीन का काम तेजी से चल रहा हैं। परंतु अब तक सफलता नहीं मिल पाईं हैं। इन सब के बीच कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों में फिर से कोरोना की पुष्टि ने नए खतरे की आहट दे दी है। कोरोना से दोबारा संक्रमित होने का मामला सबसे पहले हांगकांग में देखा गया था। लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों ने भी इस पर मुहर लगा दी है। भारत के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस सप्ताह की शुरुआत में ग्रेटर नोएडा और मुंबई में हेल्थ केयर वर्कर्स में एक बार फिर कोरोना की पुष्टि हुई है। इसमें नोएडा के दो जबकि मुंबई के चार हेल्थकेयर वर्कर शामिल हैं।
जीआईआईएमएस के वैज्ञानिक ने बताया कि ये खतरा इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि इन हेल्थकेयर वर्कर्स की जांच में जो कोरोना के संक्रमण मिले हैं वह पहले वाले कोरोना वायरस से बिल्कुल अलग हैं। ऐसे में हम कह सकते हैं कि कोरोना वायरस का नया परिवर्तित रूप सामने आया है। जांच में पाया गया है कि नए वायरस पर शरीर में बने एंटीबॉडी का कोई फर्क नहीं पड़ता।
वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना वायरस में जिस तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं, उसके बाद इस पर अब और ज्यादा अध्ययन और रिसर्च की जरूरत है। वैज्ञानिकों ने कोरोना वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों को भी इन परिवर्तनों से आगाह करते हुए इस ओर ध्यान देने की बात कही है।
डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना मरीज को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली डोज दी जाती है। इसके बाद मरीज काफी हद तक वायरस से मुकाबला करने को तैयार हो जाता है। लेकिन जैसे ही मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है वैसे ही पहले से शरीर में मौजूद वायरस शरीर पर हमला कर देते हैं। ऐसे में मरीज दोबारा से संक्रमित हो जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि ठीक हो चुके 14 प्रतिशत मरीजों में दोबारा कोरोना का खतरा हो सकता है।