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जांजगीर चांपा। दिल्ली से एक वैज्ञानिकों की टीम जांजगीर पहंुची है। जो वार्ड 2 दर्रीपारा के तालाब के पानी को निस्तारी योग्य बनाने के लिए आयुर्वेद तकनीक का प्रयोग करेगें। वैज्ञानिको का टीम वार्ड नंबर 2 दर्रीपारा जाकर मौके पर पहुंच कर पानी का जांच किया है. आयुर्वेद तकनीकी का उपयोग कर लोगो के लिए उपयोग में लाने के लिए एक नया प्रयोग किया जा रहा है। जांजगीर नैला पालिका नैला वार्ड नंबर 2 दर्रीपारा मे इन दिनो मोहल्लेवासी डायरिया से बीमार हो रहे है जिसके चलते विगत दिनो एक व्यक्ति का मौत हो गया है तो वही 30 से ज्यादा लोग डायरिया से बीमार हो रहे है। वार्ड में फैले डायरिया का खबर मिडिया में आने के बाद शासन व प्रशासन ने आनन फानन में वार्ड में स्वास्थ्य कैंप लगाया है। वार्ड में नगर पालिका द्वारा बनाये बोर को भी बंद कराया गया हैं। अब स्थिति सामान्य है। लगातार डाक्टरो की टीम रायपुर ,बिलासपुर से आकर वार्ड में स्वास्थ्य कैंप लगाकर लोगो को बीमारी से बचने के उपाय एवं लोगो का उपचार कर रहे है। वार्ड में स्थित तालाब के पानी को भी नगर पालिका खाली करा रही है। लगातार वार्ड के लोग तालाब एवं बोर के दुषित पानी से पीने से बीमार पड़ रहे थे। स्वास्थ्य विभाग की टीम मे तालाब की पानी की सेम्पल को लैब भेज कर जांच की थी . जांच में टीम को तालाब का पानी दुषित होने की बात स्पष्ट हो गई है। जिसके कारण लोग डायरिया से बीमार पड़ रहे थे। अब नगर पालिका तालाब के पानी को खाली कर सफाई कराया जा रहा है। वही आज दिल्ली से एक वैज्ञानिकों की टीम जांजगीर पहंुची है। जो वार्ड 2 दर्रीपारा के तालाब के पानी को निस्तारी योग्य बनाने के लिए आयुर्वेद तकनीक का सहारा ले रहे है। वैज्ञानिको का टीम वार्ड नंबर 2 दर्रीपारा जाकर मौके पर पहुंच कर पानी का जांच किया है. आयुर्वेद तकनीकी का उपयोग कर लोगो के लिए उपयोग में लाने के लिए एक नया प्रयोग किया जा रहा है। दिल्ली से आये वैज्ञानिको की टीम तालाब में आयुर्वेद से बने तकनीक का उपयोग कर पूरे तालाब के पानी को साफ किया जायेगा। टीम के प्रमुख नवीन वर्मा का कहना है कि हम लगातार देख रहे की यहां के लोग तालाब का पानी का उपयोग निस्तारी के लिए कर रहे हैं. आगे उन्होने बताया कि पहले इसका उपयोग ट्रायल के लिए किया जायेगा । बाद में जिले के सभी तालाबो को भी इसी तकनीक सेे साफ किया जायेगा।
राजनांदगांव में हुआ प्रयोग सफल…
दिल्ली से आये वैज्ञानिको ने बताया की छत्तीसगढ़ में इस तकनीक का पहला प्रयोग राजनंादगांव के एक तालाब मे किया गया जहां एक महीने तक ट्रायल किया गया धीरे -धीरे पूरे तालाब साफ हो गया . अब वहां के लोग तालाब का पानी निस्तारी करने मे ला रहे है।
तालाब में नही होगा मच्छर, बदबू, और जलकुंभी..
वैज्ञानिको का कहना है कि इसका प्रयोग से तालाब में किसी प्रकार का बदबू,मच्छर अैार जलकुंभी नही होगा । बस लोगो को तालाब में पाॅलीथिन नही डालना होगा। इस तकनीक को 2 वर्षो से लगातार रिसर्च किया गया तब जाकर इसमें सफलता मिली है।
सिक्रेट है तकनीकी….
वैज्ञानिको ने बताया कि इस तकनीक का प्रयोग कैसे करते है क्या डालते है यह सब हमारे कंपनी के निर्देश के अनुसार हम सार्वजनिक नही करते है। इस प्रयोग पानी मे डालकर किया जाता है। लेकिन क्या डालते है ,कैसे डालते यह नही बताया जाता है।
क्या है आयुर्वेद तकनीक…
वैज्ञानिको ने इस तकनीक का नाम काउनाॅमिक्स रखा है। दिल्ली की एक कंपनी है जिसमें आयुर्वेद का इस्तेमाल कर तालाब को साफ किया जायेगा। इसका पहला प्रयोग राजनंदगांव के तालाब किया गया जहां सफल प्रयोग हुआ है।