जांजगीर चांपा। पंचायत चुनाव में मतदान के तारीख जैसे -जैसे नजदीक आ रहे है वैसे ही ग्रामीण क्षेत्रो मे चुनाव का माहौल गरमा रहा हैं लेकिन जिला कांग्रेस अपने समर्थित प्रत्याशीयो के नाम तय करने में उलझी हुई हैं. पार्टी मे नामो को लेकर एक राय नही बन पा रहा है। कांग्रेस पार्टी जिले में अपने काम को लेकर हमेशा विवादो मे रहती है।
निकाय चुनाव बात करे तो पार्टी मे प्रत्याशी चयन को लेकर विवाद की स्थिति थी तो वही अब पंचायत चुनाव मे समर्थित प्रत्याशी के नाम को लेकर आपसी सहमति नही बन पा रहा हैं. कांग्रेस संगठन द्वारा बार -बार समर्थित प्रत्याशीयो का नामो मे फेरबदल किया जा रहा है। जिससे पार्टी के कार्यकर्ता नाराज हो रहे है. तो कई कार्यकर्ता पार्टी के पदाधिकारीयों पर कई प्रकार का आरोप भी लगा रहे हैं।
नगरीय निकाय चुनाव मे पार्टी किसी प्रकार से तो सत्ता मे आ गई लेकिन पंचायत चुनाव में लग रहा है इससे पूरा हाल पार्टी का हो सकता हैं. पंचायत चुनाव में प्रत्याशी चयन हो लेकर जहां पार्टी मे आपसी गुटबाजी है, तो दूसरी ओर भाई भतीजावाद हावी होते दिख रही है. इस तरह पार्टी के रवैये से कार्यकर्ता नाखूश है, तो मतदाता भी कांग्रेस के इस खेल को खुब समझ रही है। पंचायत चुनाव में समर्थित प्रत्याशीयों के नाम बार-बार काट कर नये नाम का चयन किया जा रहा हैं. जिससे कार्यकताओ में गलत संदेश जा रहा। जिसका असर परिणाम पर भी होना निश्चित है।
दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा बार -बार धान खरीदी में नियम के बदलाव से ग्रामीण क्षेत्रो मे किसान धान बेचने को लेकर पेरशान नजर आ रहे है. इस बार सरकार द्वारा किसानो के समर्थन मूल्य मे धान नही लेने व बोनस मे कटौती, पंचायत चुनाव मे बड़ा मुददा होगा। जो वादे कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव के समय की थी उन वादो से अब मुकर रही हैं. ग्रामीण इलाको के किसानो में इस बात को लेकर बड़ा आक्रोश हैं ।
वही जिले मे कांग्रेस पार्टी नाम चयन को लेकर उलझी हुई हैं. एक नाम पर राय नही बन पाने के कारण कांग्रेसी कार्यकर्ताओ मे मनोबल कम होते जा रहा तो कई कार्यकर्ता अपने ही पार्टी के पदाधिकारीयो को कोस रहे हैं। इस तरह पार्टी मे समय रहते आपसी सहमति नही बनी तो इसका परिणाम भी पार्टी के खिलाफ हो सकता है।