जांजगीर चांपा। जांजगीर चांपा जिले के 9 ब्लाकों मे ऐसा ग्राम पंचायत नही होगा जहां 14 वित्त व डीएमएफ मद मे बंदरबाट न हुआ हो, ग्राम पंचायतों के सरंपच व सचिव द्वारा अधिकारीयों सेे साठगांठ कर फर्जी तरीके से लाखों, करोड़ों भ्रष्ट्राचार कर ढ़कार लिया गया है। वही जिले के सैकड़ों ग्राम पंचायतो में इस मामले मे जांच भी चल रहा है।
इसी प्रकार अकलतरा ब्लाक के ग्राम पंचायत किरारी मे गौण खनिज व 14 वित्त मद से सरपंच सचिव द्वारा अधिकारीयों से साठगांठ कर करोड़ो का भ्रष्ट्राचार किया गया है। जिसकी शिकायत ग्राम पंचायत के उपसरपंच व सभी पंचो द्वारा जिला पंचायत अधिकारी से किया गया है। लेकिन जांच के नाम जिला पंचायत अधिकारी द्वारा सिर्फ खानापूर्ति की जा रही हैं। जांच टीम गठित कर जिस अधिकारी को भेजा गया था उसी अधिकारी द्वारा बिना जांच पड़ताल किये करोड़ो को चेक जारी कर दिया गया। जब अधिकारी द्वारा ही बिना जांच के चेक जारी किया गया है तो वही अधिकारी द्वारा कैसे मामले में निष्पक्ष जांच की बात कही जा सकती है। इस प्रकार अधिकारी द्वारा जांच के नाम लोगो के आंख मे धुल झोकने को काम कर रहे है। पंचायतो द्वारा किये गये शिकायत की जांच अभी अटकी हुई हैं। अभी तक किसी प्रकार की इस मामले मे अधिकारी द्वारा न तो सरपंच के खिलाफ कोई कार्यवाही की है, और न ही सचिव द्वारा किसी प्रकार पुछताछ किया गया। ग्रामीणो का यह भी आरोप है कि जब जांच टीम गा्रम पंचायत आई हुई थी। उसी दिन सरपंच व सचिव द्वारा जांच मे रूकावट पैदा किया गया। जिसके चलते विवाद की स्थिति बनी थी।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि अप्रैल से लेकर सितंबर तक केवल छह माह के बीच 4 करोड़ रुपए का विकास हो गया, लेकिन गांव में कुछ भी नहीं है। कई किस्तों में 48 हजार 49 हजार जैसे कई 139 ऐसे बिल निकाले गए हैं जिसमें क्वारेंटाइन सेंटर में श्रमिकों के लिए टेंट की व्यवस्था करनी हो या फिर कार्यक्रम के लिए 18-18 हजार रुपए की मिठाई। ग्रामीणों को इतनी भारी भरकम बिल गले से नहीं उतर रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि पूरे मामले की जांच की जाए। लेकिन जांच टीम भी अब गांव जाकर फर्जीवाड़े की जांच के लिए कतरा रहे हैं। ज्ञात हो कि अप्रैल माह से कोरोना काल का दौर शुरू हुआ। इसके बाद गांवों में श्रमिकों का आगमन हुआ। श्रमिकों के आगमन के बाद प्रशासन ने पंचायतों को यह आदेश दे दिया कि प्रवासी श्रमिकों को क्वारेंटाइन सेंटर में ठहराव के लिए 14 वें एवं 15 वित्त की राशि का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आदेश पाकर सरपंच सचिवों के भाग्य खुल गए। टेंट हाउस व श्रमिकों के भोजन के लिए सरपंच सचिवों ने पूरे सरकारी खजाने का बंदरबांट कर दिया। हद तो तब हो गई ग्राम पंचायत किरारी के सरपंच सचिव ने टेंट हाउस व श्रमिकों की व्यवस्था बनाने के लिए व इसी बीच गांव के विकास के लिए चार करोड़ रुपए फूंक दिए। छह माह के बीच गांव में चार करोड़ रुपए खर्च हो गए।
छह माह के बीच चार करोड़ में प्रमोद कुमार दुबे नाम के किसी एजेंसी को 48-48 हजार रुपए बिल काटकर कई लाख रुपए बांट दिया गया है। वहीं विनय किराना एवं जनरल स्टोर के नाम से भी 48-48 हजार रुपए बिल कई किस्तों में कटे हैं। इतना ही नहीं गांव में बोरवेल्स के नाम पर कई लाख रुपए का बिल पास किया गया है। हद तो तब हो गई जब सरपंच सचिव ने न जाने किसे मिठाई खिलाई इस पर भी 38 हजार रुपए की मिठाई खिला दी है। इन सबकी शिकायत गांव के उपसरपंच, पंच अशोक कुमार, सुमेना मरकाम, देव कुमार साहू, लक्ष्मी प्रसाद पंच सहित पूरे गांव के पंचों ने सीईओ जिला पंचायत जांजगीर में की है।
भारी भरकम बिल आखिर कैसे पास हुआ….
किसी भी ग्राम पंचायत में छह माह के भीतर 4 करोड़ का खर्च किसी के भी गले से नहीं उतरेगा। अनाप.शनाप बिल को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बिल पास कराने में सरपंच सचिव ने ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारियों तक हिस्सा बांटा है। यही वजह है कि किसी भी टेंट व्यवसायी को करोड़ों का बिल भुगतान किया गया है। क्या प्रवासी श्रमिकों को स्पेशल व लक्जरी टेंट में ठहराया गया था। जबकि प्रशासन ने सभी स्कूल भवनों में श्रमिकों को ठहराने कहा था। सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए किरारी के सरपंच सचिव ने सीधे.सीधे चार करोड़ रुपए पानी की तरह बहा दिए।