आखिर क्यों न पूछी जाय जोगी की जात ? सच्चाई जानने का सबको है अधिकार..

रायपुर : जब जब चुनाव आते है तब तब जोगी की जाति पर सवाल उठाये जाते है, इतना ही नहीं यह मुद्दा कोर्ट, हाई कोर्ट, और राजयपाल तक घूम चूका है आज तक यह फैसला नहीं हो पाया कि जोगी की जात क्या है ? उनकी जाती को लेकर अलग अलग कोरम में चुनौतिया मिलती रही है और समय दर समय वो इसका जवाब देते रहे है।जहां भी इनकी जाती का मुद्दा उठाया गया है उनमे कई की रिपोर्ट आ चुकी है और कई की आना अभी बांकी है।तारीखे गवाह है कि चुनाव आये और जोगी की जाती पर बवाल न मचे यह हो ही नहीं सकता।जोगी परिवार से कोई प्रत्याशी का चेहरा होगा भी या नहीं इस पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ है.

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इसमें सीनियर IAS संजय दीक्षित ने लिखा भी है कि जाती का उपयोग क्यों कब और कैसे किया जाता है ? उनके अनुसार ये विधायक बनेंगे तो सरकार की जितनी भी सेवाएं है ये उसका उपभोग करेंगे ये उपभोग एक आरक्षित सीट और आरक्षण की वजह से इनको मिलेगा तो क्यों न जोगी को अपनी जात की हकीकत सबके सामने रखना चाहिए।

एक व्यक्तव्य में कहा कि-“कौन कहता है मंदिरों में जाति पूछी जाती है ?”जाति मंदिरों में नहीं, सरकारी नौकरी, राशन, स्कालरशिप, मुफत आबंटन, सरकारी योजनाओं और संविधान द्वारा प्रदत्त जातिगत आरक्षण में पूछी जाती है।”हालांकि इससे पहले भी IAS दीक्षित ने टिप्पणी में कहा था कि- “ब्राह्मण का बेटा ब्राह्मण और शूद्र का बेटा शूद्र ही रहेगा।यह बात मनुस्मृति नहीं… बल्कि भारतीय संविधान का जाति प्रमाण पत्र कहता है !”

जानते है IAS संजय दीक्षित के बारे में-
संजय दीक्षित राजस्थान कैडर के 1986 बैच के IAS अधिकारी हैं। जोकि सोशल मीडिया पर एक लेखक की पहचान भी रखते हैं। वो द प्रिंट व स्वराज्यमग के लिए कॉलमिस्ट भी हैं। जबकि राजस्थान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं। साथ ही राजस्थान सरकार के प्रधान सचिव के पद पर भी काम कर चुके हैं।