बलरामपुर.. छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिले बलरामपुर में शासन द्वारा दी जाने वाली मुआवजे की राशि दिलाने के नाम पर फोन कॉल कर राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति के एक परिवार से ठगी करने का मामला सामने आया है..वही अब यह मामला पुलिस के पास है..पुलिस के अधिकारी मामले की जांच कर कार्यवाही की बात कह रही है.
जिले के रामचन्द्रपुर विकास खण्ड के ग्राम टाटीआथर निवासी मुनेश्वर पंडो की मौत 17 अक्टूबर 2020 को सर्पदंश से मौत हो गई थी..और मृतक की के बाद मृतक के परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई…और जैसे तैसे उनके परिवार का जीविकोपार्जन जारी था..इसी बीच सरकार द्वारा दी जाने वाली राहत राशि दिलाने के एवज में साढ़े छै हजार रुपये की मांग के लिए आये एक फोन कॉल से..मृतक मुनेश्वर के परिजन सकते में आ गए..नौबत तो ऐसी भी आ गई..की मृतक के परिजन अपने पालतू मवेशियों को बेच कर ..सहायता राशि पाने के लिए पैसे देने पर विचार करने लगे..
मृतक के परिजनों के मुताबिक उसको जो फोन आया था. उसमे फोन करने वाले ने अपने आप को राजस्व मंडल का अधिकारी बताया था..इसके साथ ही उसने यह भी कहा था..की समय रहते अगर उसे फाईल का खर्चा साढ़े हजार रुपये नही मिले तो उन्हें सरकारी सहायता राशि मिलने में लेट लतीफ भी हो सकती है..यही नही फोन करने वाले ने गांव के सरपंच का हवाला देते हुए कहा कि उनका नम्बर उसे सरपंच ने दिया है..और सरपंच के किसी परिजन का भी ऐसा ही एक प्रकरण पेंडिंग है ..जिसमे समय लगेगा.. इतना ही नही फोन करने वाले कथित अधिकारी ने मृतक के परिजनों को घूंस की राशि या तो रायपुर आकर देने या फिर ऑनलाइन ट्रांसफर करने का ऑफर दिया था..इसके साथ ही कथित अधिकारी ने अपना बैंक अकाउंट नम्बर भी मृतक के परिजनों को दिया था..जिसके बाद मृतक के परिजन कथित अधिकारी पर संदेह करते हुए पुलिस के पास पहुँचे थे!
वही इस पूरे मामले में पुलिस ने मृतक मुनेश्वर पंडो के परिजनों के द्वारा दी गई शिकायत पर जांच के बाद कार्यवाही करने की बात कही है..
वैसे तो उत्तर छत्तीसगढ़ की सीमा पर बसा आदिवासी बाहुल्य बलरामपुर जिला पिछड़े पन की श्रेणी में आता है..जहाँ राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति के लोग निवासरत है..और आदिवासियों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम ठगने का मामला लगातार सामने आता रहा है..लेकिन मृत व्यक्ति के नाम प्राकृतिक आपदा के नाम पर रायपुर से किसी कथित अधिकारी के द्वारा फोन कर फाईल खर्च मांगने का यह पहला मामला है..ऐसे में प्रशासन को शासन की तमाम योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ ही जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है..और अब देखने वाली बात यह होगी कि ..आखिरकार इस मामले में पुलिस की जांच क्या रंग लाएगी.. दोषियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही होगी ..यह तो देखने वाली बात है?.