दीपावली के मौके पर हर बार पुरे देशभर में भारी मात्रा में पटाखें चलाये जाते हैं। इन पटाखों के कारण पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुँचता हैं इसके इलावा यह हर बार किसी न किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बनते हैं। इन सब बातों पर संज्ञान लेते हुए इस बार सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने का बड़ा फैसला किया हैं। जानिये सुप्रीम कोर्ट ने आखिर किस वजह से जारी किया हैं, यह फरमान।
अपने इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखा बिक्री को 1 नबंवर तक के लिए बैन किया हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा विक्रेताओं के सभी पुराने और नए लाइसेंस बैन कर दिए हैं। कहा जा रहा हैं कि 1 नवंबर के बाद सुप्रीम कोर्ट पटाखों की बिक्री से बैन हटा सकता हैं।
क्या कहती हैं एजेंसियां
आपको बता दें कि प्रदुषण के स्तर पर अपनी नज़र रखने वाली केंद्र सरकार की एजेंसी ‘सफर’ (सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च) ने दिल्ली के प्रदुषण के बारे में बताते हुए कहा हैं कि “दिल्ली की हवा बहुत ज्यादा खराब हैं और आने वाले समय में हालात और भी बत्तर हो सकते हैं। वायु गुणवत्ता सूचकांक ख़राब हो चुका हैं और इसका मतलब यह हैं कि यदि लोग ऐसी हवा में लंबे समय तक रहते हैं तो उनको सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा।”
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट में वायु प्रदुषण के जानकार विवेक चट्टोपाध्याय ने भी इस बारे में अपने विचार दिए। प्रदुषण के बारे में उनका कहना हैं कि इस वर्ष का प्रदुषण, निर्धारित सुरक्षा स्तर से 7 गुना अधिक हैं। विवेक चट्टोपाध्याय ने पटाखों से होने वाले प्रदुषण के बारे में एक महत्वपूर्ण बात बताते हुए कहा कि “पटाखों से होने वाले प्रदुषण के लिए सरकार ने कोई मानक नहीं बनाये हैं जो मानक बनाये गए हैं वह सिर्फ पटाखों से होने वाली ध्वनि के स्तर पर ही केंद्रित हैं।”
यदि पटाखों से होने वाले प्रदुषण के स्तर के लिए सुरक्षा मानक तय कर भी दी जाए तो भी उससे क्या फर्क पड़ेगा। मसलन कोई भी पटाखा चलाएगा तो प्रदुषण होगा ही। मुख्य बात यह हैं कि इस बात को देखा जाए की जो पटाखे बाजार में आ रहें हैं उनमें पहले के मुकाबले अब कोई बदलाव आया हैं। इसके अलावा इस बात का किसी के पास कोई आकड़ा नहीं होता कि बाजारों में पटाख़े कितनी मात्रा में आ रहें हैं। वर्तमान में नबंवर तक सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली के मौके पर पटाखों की बिक्री पर बैन लगा कर जहां लोगों की दीपावली को बेरौनक बनाने का कार्य किया हैं। वहीं कुछ लोग इस निर्णय को बढ़ते प्रदुषण के खिलाफ लिया गया एक सही फैसला बता रहें हैं।