- रेडक्रास के जन औषधी केन्द्र में दवाओं का स्टाक खत्म
- तीन साल से प्रबंधन पर 60 लाख का बकाया, प्रबंधन ने खड़े किये हाथ
अम्बिकापुर{दीपक सराठे}
मरीजों को सस्ते दर पर इवाईयां उपलब्ध कराने के उद्देष्य से शासन द्वारा जिला अस्पताल में खोली गई भारतीय रेडक्रास सोसाइटी की जन औषधी केन्द्र के हालात खतरे में पड़ गये है। बल्कि यह कहा जाये कि उसका अस्तिव समाप्त होने की कगार में पड़ चुका है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा तीन साल से इस केन्द्र का भुगतान लगभग 60 लाख रूपये बकाया है, और इस कारण केन्द्र में दवाओं स्टाक भी खत्म हो गया है। बीती रात से ही शासन के विभिन्न योजनाओं में दी जाने वाली दवाओं का वितरण भी ठप हो गया है। दूसरी तरफ प्रबंधन ने बजट नहीं आने का हवाला देते हुये बकाया राषि देने से इंकार करते हुये हाथ खड़े कर दिये है।
ज्ञात हो कि जिला अस्पताल परिसर में भारतीय रेडक्रास सोसायटी सरगुजा द्वारा संचालित जन औषधि केन्द्र से जिला चिकित्सालय को आरएसबी आई, जेएसवाई, जेडीएस, जेएमएसके तहत दवा प्रदान की जाती है। इसके अलावा आपात कालीन स्थिति में मरीजों के एक मात्र सहारा यह केन्द्र है। पिछले लगभग तीन वर्षो में अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस केन्द्र को दवाओं का भुगतान नहीं किया गया है।
भुगतान नहीं होने के कारण हालात यह है कि थोक दवा विक्रेताओं ने इस केन्द्र दवा की सप्लाई देनी बंद कर दी है। इस स्थिति में जहां जन औषधी केन्द्र में दवाओं का टोटा हो गया है। वहीं इसे सुचारू रूप से संचालित कर पाना संभंव नहीं हो पा रहा। इस मामले में रेडक्रास सोसायटी जन औषधी केन्द्र के अध्यक्ष करताराम गुप्ता ने आज अस्पताल प्रबंधन व मेडिकल कॉलेज के डीन पीएम लुका से मुलाकात की परंतु बजट नहीं आने का हवाला देते हुये प्रबंधन ने अपने हाथ खड़े कर दिया है। केन्द्र के अध्यक्ष ने साफ तौर पर कहा कि यदि जन औषधी केन्द्र को किसी भी कारण से दवा आपूर्ति में बाधा होती है तो इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक की होगी। इस मामले में मेडिकल कॉलेज के डीन पीएम लुका ने कहा ि कवे इस बारे में प्रबंधन से चर्चा करेंगे।
कमिशन पर होता है काम-अध्यक्ष
इस मामले में जन औषधी केन्द्र के चेयरमेन करताराम गुप्ता से चर्चा करने पर श्री गुप्ता ने अस्पताल प्रंबंधन पर कई गंभीर आरोप लगाये है। श्री गुप्ता का कहना है कि प्रबंधन का सेवा भावना से कोई लगाव नहीं है। जो भी कमीषन देता है, उसी का काम यहां किया जाता है। पूरे प्रबंधन के अंदर एक गिरोह काम कर रहा है। जो जीवन दीप के पैसे को भी अनाप-षनाप काम से लगाकर उसे सिर्फ बंदरबाट करने में लगा है। श्री गुप्ता ने कहा कि प्रबंधन द्वारा चर्चा से उनकी मंषा साफ होती है ि कवे इस केन्द्र को बंद कराकर बाहर की दवा दुकानों से कमीषन का खेल खेलना चाहते है।