सीआरपीएफ के कमांडेंट राजेश यादव का कहना है कि अभी घाटी के माहौल में बहुत तब्दीली आई है। कल तक पत्थरबाजी करने वाले युवा अब खेलों में दिलचस्पी ले रहे हैं। जो युवा गुमराह होकर रास्ता भटक गए हैं, उन्हें वापस लाने की कोशिश की जा रही है। जो सरेंडर कर रहे हैं, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। गृह मंत्रालय ने भी कहा है कि ऐसे युवाओं को जेल से सुधार गृह में भेजा जा जाए। एेसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि युवाओं को भी लगे कि सेना उनकी मदद कर रही है। सिविक और स्पोर्ट्स एक्टिविटीज को बढ़ावा दिया जा रहा है।
स्पोर्ट्स एक्टिविटी में बड़ी संख्या में युवा जुड़ रहे हैं
– यादव ने बताया कि अंडर-14, अंडर-19 टूर्नामेंट कराए जा रहे हैं। इसमें बड़ी तादाद में युवा जुड़ रहे हैं। स्कूलों में भी खेल-कूद के सामान पहुंचाए जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस भी मदद कर रही है।
– “अभी एक लड़का वापस आया है, ऐसे और लड़कों के परिवार वालों से भी बोला गया है कि वे बच्चों को घर लौटने के लिए कहें, क्योंकि आज नहीं तो कल वे एनकाउंटर में मारे जाएंगे। एनआईए के छापों से भी असर पड़ा है। यह सुरक्षा बलों में बेहतर कॉर्डिनेशन से संभव हुआ है। घाटी में बर्फबारी की वजह से भी पीओके से घुसपैठ कम हो जाती है।”
66 आतंकी एलओसी पर घुसपैठ करते मारे गए
– कश्मीर में भारतीय सेना का मिशन ऑलआउट कामयाबी की ओर है। शनिवार को सेना ने कश्मीर घाटी में 6 आतंकियों को मार गिराया था। पिछले 10 साल में इस साल सबसे ज्यादा आतंकी कश्मीर में मारे गए हैं।
– सेना के मुताबिक, इस साल अब तक कुल 190 आतंकी ढेर किए गए हैं। 15 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जेएस संधू और जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद ने बताया कि मारे गए 190 आतंकियों में से 80 स्थानीय दहशतगर्द हैं, जबकि 110 विदेशी हैं। जिनमें से ज्यादातर पाकिस्तानी हैं। 66 आतंकियों को सेना ने इस साल एलओसी पर घुसपैठ के दौरान मार गिराया है।
– ऑपरेशन ऑलआउट का मकसद जम्मू-कश्मीर को हिंसा और आतंकवाद से मुक्त करना और शांति बहाल करना है। सेना राज्य में दहशतगर्दी का रास्ता पकड़ चुके युवाओं से आतंक का रास्ता छोड़ने की अपील भी कर रही है। इसके लिए उनके परिवार वालों को मोटिवेट किया जा रहा है। सुरक्षा बलों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि जो युवा आतंकी संगठनों में शामिल हैं, वे वापस आने के लिए आजाद हैं। उन्हें परेशान नहीं किया जाएगा।
अाखिरी फेज में है सेना का ऑपरेशन ऑलआउट
– कश्मीर में ऑपरेशन ऑलआउट के तहत सेना अब दक्षिण कश्मीर में आतंकियों के अंतिम गढ़ को ध्वस्त करने में जुटी है। यहां शोपियां जिला आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। यहां आतंकियों की गतिविधियां खुलेआम देखी जा सकती हैं। सेना यहां नए कैंप स्थापित कर रही है। सीआरपीएफ बटालियन भी तैनात की गई है।
नोटबंदी और एनआईए छापों से 90% तक पत्थरबाजी कम हुई
– जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद ने हाल ही में बताया था कि इस साल कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं में 90% की कमी आई है।
– उन्होंने इस सुधार के लिए कश्मीर की जनता को श्रेय दिया था, साथ ही पत्थरबाजी में कमी लाने में एनआईए के छापे के अलावा नोटबंदी और आतंकी कमांडरों के खिलाफ कार्रवाई ने भी मदद की है।
– पिछले साल 1 दिन में 40-50 ऐसी घटनाएं होना आम था, लेकिन अब इन घटनाओं में 90% की कमी आई है।
– 5000 के करीब आतंकी पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में रुके हुए हैं।
– 1100 आतंकियों के परिवार वालों ने उन्हें घर लौटने की अपील की है।
– 10 आतंकियों ने ही कश्मीर में पिछले 22 महीने में सरेंडर किया है।