जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक शिवरीनारायण का मेला अब धीरे-धीरे गुम होता जा रहा है। मेले पर कभी राजनीति उपेक्षा का आरोप तो कभी संस्कृति को नजर अंदाज करने के आरोप लगते है। कभी अविभाजीत मध्यप्रदेश के सबसे बड़े पौराणिक मेले की अपनी ही विशेषता रही है। छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण मेले को लेकर कई तरह की पौराणिक मान्यताएं हैं। प्रकृति सौंदर्य और चतुर्भुजी विष्णु की मूर्तियों की अधिकता के कारण स्कंद पुराण में इसे श्री पुरूषोत्तम और श्री नारायण क्षेत्र कहा गया है। सतयुग में बैकुंठपुर, त्रेतायुग में रामपुर और द्वापरयुग में विष्णुपुरी तथा नारायणपुर के नाम से विख्यात यह नगर मतंग ऋषि का गुरूकुल आश्रम और शबरी की साधना स्थली माना जाता है।
शिवरीनारायण मेला समिति का कहना है कि भगवान श्रीराम और लक्ष्मण शबरी के जूठे बेर यहीं खाये थे। और उन्हें मोक्ष प्रदान किया गया। शबरी की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए शबरी नारायण नगर बसा है। इसे गुप्त तीर्थधाम कहा गया है, ऐसी मान्यता है कि याज्ञवलक्य संहिता और रामावतार चरित्र में इसका उल्लेख है। भगवान जगन्नाथ की विग्रह मूर्तियों को यहीं से पुरी ओडिशा ले जाया गया था। प्रचलित किंवदंती के अनुसार प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ यहां विराजते हैं। शिवरीनारायण का प्रसिद्ध मेला आज अपनी ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. सरकार बदलने के साथ-साथ हमेशा से मेले को लेकर नजरीया भी बदला, बावजूद इसके आज भी 15 दिनों तक चलने वाले इस सबसे लम्बे मेले में दुर.दराज और कई प्रांत से लोग यहां आते है। जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश से अलग नहीं हुआ था। उस दौरान इस मेले में हाथी, घोड़े भी मेले का हिस्सा हुआ करता थे। सैकड़ों एकड़ में लगने वाला ये मेला हमारी संस्कृति का धरोहर है जो अब धीरे.धीरे खोता जा रहा है। चूकि यहां तीन नदियों का संगम है महानदी, जोंक और शिवनाथ नदीं इस लिए तीर्थ स्थल भी माना जाता है। यहां कई प्रकार हिन्दु संस्कार भी नदी किनारे होते है।
माता शबरी के जन्म स्थल को विश्व पटल पर स्थापित करने समुचित प्रयास होने चहिए…
वात्सल्य की प्रतिमूर्ति माँ शबरी जिन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को जूठे बेर खिलाये थे शनिवार 15 फरवरी को जयंती थी। उनके जन्म स्थान शिवरीनारायण जिला जांजगीर चाम्पा में वर्तमान में प्रसिद्ध पुन्नी मेला भी चल रहा है। यह स्थान धार्मिक.पौराणिक महत्व का स्थल तो है ही, साथ ही प्राचीन समय से ही महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र भी रहा है। पूर्व में यह तीर्थाटन के लिए पुरी जाने वाले यात्री इसी मार्ग से गुजरते थे। तीर्थ यात्रियों के लिए यह विश्राम केन्द्र के रूप में भी ख्यातिलब्ध था। दुर्भाग्यवश इस स्थल को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में उन्नत करने अपेक्षाकृत ठोस प्रयास नही हो सकाए हालांकि मौजूदा दौर में स्थानीय निकाय के द्वारा बेहतर कोशिस की गई हैए जिससे पहले की अपेक्षा यात्रियों को अच्छी सुविधा मिलने लगी है। यही कारण है कि लगातार पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी है। इन प्रयासों के बाद भी वैश्विक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने का इंतजार शिवरीनारायण को आज भी है। भाजपा जिला महामंत्री प्रशांत सिंह ठाकुर ने मांग की है कि माता शबरी के जन्म स्थल को विश्व पटल पर स्थापित करने समुचित प्रयास किये जायें। उन्होंने मांग की है कि आवश्यकतानुसार शिवरीनारायण के धार्मिक महत्व का प्रचार.प्रसार बड़े स्तर पर किया जाना चाहिएताकि विदेशी पर्यटक आकर्षित हों। इससे सनातनी आस्था के केंद्र शिवरीनारायण की कीर्ति का प्रसार तो होगा ही।