जांजगीर चांपा। जिले के दोनो राजनीति पार्टी भाजपा व कांगे्रस में जिलाध्यक्ष को लेकर अंतरिक खिंचतान से पार्टी की छबि धुमिल हो रही है। दोनो पार्टी के कार्यकर्ता अपने -अपने जिलाध्यक्ष को लेकर हमेशा नाराज रहते है। और समय-समय पर अपने पार्टी के उच्च पदाधिकारीयों से इनकी शिकायत भी करते रहते हैं । लेकिन किसी भी पार्टी के जिलाध्यक्ष की बार-बार शिकायत से संगठन मंे दरारंे आ जाती है। और अंत में पार्टी को ही नुकसान उठाना पड़ता है। जांजगीर चांपा जिले में भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष कार्यकर्ताओ ंमें तालमेल बनाने में असफल नजर आ रहे है जिसका नतीजा है समय -समय पर कार्यकर्ता इनकी शिकायत संगठन के उच्च पदाधिकारीयांे से करते है। अब समय रहते पार्टी के उच्च पद पर बैठे संगठन के पदाधिकारीयों को भी इस बात के लिए सोंचना होगा कि जिस पार्टी में जिम्मेदारी के साथ जिलाध्यक्ष का पद दिया गया हैं। उस जिलाध्यक्ष द्वारा कार्यकर्ताओ मे आपसी तालमेल किस कारण नही बैठ पा रही है। कार्यकर्ता आखिर क्यो जिलाध्यक्ष की शिकायत बार -बार करते हैं। जिसके कारण पार्टी की छबि खराब होती है। इस तरह समय रहते संगठन के उच्च पदो पर बैठे नेता इस बात की चिंतन नही करेगें तो आने वाला समय दोनो पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योकि पार्टी को मजबूत करने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं को राय मशवरा जरूरी होता है। जब तक पार्टी के कार्यकर्ता अपने जिलाध्यक्ष से संतुष्टि नही होगें तबतक किसी भी पार्टी मजबूती से आगे नही पड़ सकती । इसलिए संगठन के उच्च पद बैठे पदाधिकारी इस समस्या का हल समय रहते निकाल ले तो आने वाला समय अच्छा होगा। अन्यथा पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी के कारण नतीजा पार्टी को ही झेलना पड़ेगा।