जांजगीर चांपा। जिला मुख्यालय में इन दिनो जुआ का खेल बेरोक टोक जारी है। कोतवाली के चार आरक्षकों के दम पर यह जुआ संचालित हो रहा है। इसकी जानकारी कोतवाली टीआई को भी है,लेकिन कार्यवाही के नाम सिर्फ खानापूर्ति हैं। जुआरीयों का हौसला इस कदर बड़ा हुआ है कि पुलिस की कार्रवाही से कोई डर भय नही है। शहर मे एक ठिकाना बना कर लाखों का जुआ खिलाने का काम किया जा रहा है। जुआरीयों की सेटिंग इतनी मजबूत है कि कोतवाली के चार आरक्षकों को भी इसका ठिकाना पता हैं। वही कोतवाली टीआई तो जानकारी के बाउजुद किसी प्रकार की कार्रवाही नही कर रहे है। कोतवाली क्षेत्र के आसपास ग्रामीण इलाको में खुलेआम जुआ संचालित होने गांव का माहौल तो खराब हो रहा हैं इससे आये दिन गांव मे तनाव की स्थिति बनी हुई है। आपसी झगड़े के कारण लोग आपस मे ही उलझ जा रहे हैं। लेकिन पुलिस इन जुआरीयों पर कार्यवाही के बजाय इनको बचाने मे लगी हुई है। जुआरीयो का कहना है कि हम पुलिस को महीना पहुचातें है तो पुलिस क्यो कार्यवाही करेगी। लेकिन पुलिस का दावा है कि जहां इस प्रकार की शिकायत मिलती है वहां कार्यवाही की जाती है। जुआरीयो ंका आरोप गलत है। जांजगीर शहर के जिला हास्पिटल के पीछे तालाब किनारे रात को जुआरीयो का भीड़ इकटठा होता हैं, वही शहर के कई वार्डो मे चोरी छिपे जुआरी रात को एक जुट होकर लाखो का दांव लगा रहे हैं। जुआरी जहां एक साथ जुट कर जुआ संचालित कर रहे है ंवही बकायदा जुआरीयो के लिए खाने पीने का भी व्यवस्था किया जाता हैं। पुलिस के उच्च अधिकारीयो को इसकी जानकारी होती है उसके पहले इन चारो आरक्षकों द्वारा इसकी सूचना जुआरीयो तक पहुचंा देते है। जिसके कारण ये जुआरी पुलिस के पकड़ मे नही आते।
आरक्षको ने मोबाइल मे है नामी जुआरीयों के मोबाइल नंबर सेव….
कोतवाली में पदस्थ इन आरक्षकों के मोबाइल मे बकायदा शहर एंव आसपास ग्रामीण इलाको के नामी जुआरीयों,सटटा,गांजा बेजने वालों के नंबर सेव हैं। जरूरत के हिसाब से इन आरक्षक तक सभी जुआरी, सटोरिया व गांजा तस्कर पहुंच जाते हैं। इन सभी आरक्षको के मधुर संबध मे इन जुआरीयो,गांजा तस्कर, व सटोरियो से है। अगर किसी प्रकार की इनको परेशानी होती है तो ये इन्ही आरक्षकों का मदद लेते हैं। जिसके कारण इन जुआरीयों व सटटोरिया व गंाजा तस्करों के हौसले बड़े है।