सतना: चुनावी नामांकन दाखिल करने के पहले दिन से ही सतना में चुनावी संग्राम का शंखनाद हो गया, इस युद्ध में पहला बाण भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कांग्रेस के खेमे पर छोड़ा गया, बाण से जख्मी कांग्रेस ने जवाबी बाण तो छोड़ा लेकिन बेअसर रहा, दरअसल सतना की अमरपाटन सीट से काँग्रेस विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह इस बार भी टिकिट के प्रवल दावेदार है, ईओडब्लू और लोकायुक्त में करोड़ के घोटाले के मामले विचाराधीन होने से भाजपा ने राजेन्द्र सिंह के साथ पूरी कांग्रेस को भृष्टाचारी कह दिया है, मीडिया में दिये बयान से तिलमिलाई कांग्रेस ने पलटवार करते हुये भजपा के सतना सांसद से लेकर प्रदेश तक के नेताओ पर भृष्टाचार के आरोपो से मढ़ दिया, सतना विधानसभा चुनाव का आगाज जब इतना गरमा गरम है तो अंजाम कितना चटपटा होगा अंदाजा लगाया जा सकता है ।
जानिए क्या है पूरा मुद्दा:-
आज से मप्र. के साथ सतना विधानसभा चुनाव की प्रकिया शुरू हो गयी है, आज चुनाव पर्चा दाखिल करने के पहले ही दिन भाजपा और कांग्रेस के बीच तलवारें खिंच गई, भाजपा-काँग्रेस ने एक दूसरे के बड़े नेताओं के खिलाफ मीडिया में गंभीर आरोप लगाये है, भाजपा जिला अध्यक्ष ने काँग्रेस के अमरपाटन विधायक एवं मप्र. विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह के खिलाफ 1993 एवं 1998 में ईओडब्लू और लोकायुक्त द्वारा 736 करोड़ के घोटाले एवं करोड़ो के देवास भूमि घोटाले में अपराध कायम कर भोपाल की विशेष अदालत में अभी विचाराधीन होना बताया है, भाजपा जिला अध्यक्ष ने कहा है कि ऐसे भृष्टाचार में लिप्त अपने नेता को प्रदेश काँग्रेस ने विधानसभा चुनाव का घोषणा पत्र बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है, उन्होंने आगे कहा कि इसी भृष्टाचार के मुद्दे पर एक आरटीआई कार्यकर्ता ने 15 अगस्त के अवसर पर राजेंद्र सिंह को ध्वजारोहण करने से रोकने हेतु हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, नतीजतन ध्वजारोहण करने वालों की शासन की सूची में नाम होने के बावजूद राजेन्द्र सिंह ने सतना में ध्वजारोहण नही किया था, ऐसे भृष्टाचारी नेता को एक बार फिर अमरपाटन से चुनाव मैदान उतारने की तैयारी को लेकर पूरी कांग्रेस को भृष्टाचारी पार्टी बता दिया है,,, यही नहीं सतना भाजपा जिला अध्यक्ष ने राजेन्द्र सिंह पर आरोप लगाते हुये कहा कि 1993 में कांग्रेस सरकार में उद्योग विकास निगम के अध्यक्ष रहते हुये राजेन्द्र सिंह ने 42 डिफाल्टर कंपनियों को लोन दिया था, जिससे शासन को 719 करोड़ की आर्थिक नुकसान हुआ था, इस मामले में ईओडब्लू ने राजेंद्र सिंह सहित आठ आरोपियों के खिलाफ एफआईआर करते हुये अदालत में चालान पेश किया था, 1998 में उद्योगिक विकास निगम द्वारा देवास में अधिग्रहित बेशकीमती भूमि को बेजा लाभ पहुंचते हुये सुगना देवी को सौप दी थी, जिसपर लोकायुक्त ने राजेन्द्र सिंह के खिलाफ अपराध कायम कर अदालत में चालान पेश किया था, जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भृष्टाचार से संबंधित मामलों की सुनवाई हेतु भोपाल में स्थापित विशेष अदालत में राजेन्द्र सिंह के खिलाफ दोनो मामले अभी भी विचाराधीन है ।
कांग्रेस का पलट वार:-
भाजपा जिला अध्यक्ष के वार पर पलट वार करने काँग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश दुबे सामने आये, उन्होंने भाजपा से सतना सांसद के शिक्षाकर्मी घोटाले से लेकर व्यापम में प्रदेश के कई दिग्गज भाजपा नेताओं पर आरोपो की झड़ी लगा दी, अपने नेता राजेन्द्र सिंह का बचाव करते हुये मामला न्ययालय में विचाराधीन होना अलग और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने को अलग मामला बताया ।
चुनाव के आखरी महीने में आरोप प्रत्यारोप के दौर तेज होही जाते है,, लेकिनत देखना होगा भाजपा के आरोपों और कोंग्रस का पलट वॉर मतदाताओं पर कितना प्रभाव डालती है !