श्रीनगर, [ राज्य ब्यूरो] । फुटबाल के मैदान पर अपने जौहर दिखाते दिखाते आतंकवाद की राह पकडऩे वाले माजिद इरशाद खान ने सेना के समक्ष सरेंडर कर दिया है। फिलहाल, कोई भी अधिकारी इस संदर्भ में कुछ भी बोलने से इंकार कर रहा है।
संबधित सूत्रों ने बताया कि करीब आठ दिन पहले आतंकी बने वाले अनंतनाग के माजिद इरशाद खान को बीती रात सेना की 1 आरआर के जवानों ने अनंतनाग और कुलगाम के बीच वनपोह में घेर लिया था। उसे वहां सरेंडर का मौका दिया गया और उसके बाद उसने हथियार छोड़ दिए।
संबधित अधिकारियों ने बताया कि माजिद खान के वनपोह में एक जगह विशेष पर छिपे होने की सूचना पर ही 1 आरआर के जवानों ने सुनियोजित तरीके से उसके ठिकाने की घेराबंदी की और उसे सरेंडर के लिए कहा और उसने गोली चलाने के बजाय हथियार छोड़ दिया।
अनंतनाग के बेहतरीन फुटबाल खिलाडिय़ां मे गिने जाने वाले माजिद इरशाद खान के परिजन और दोस्त उसके आतंकी बनने के दिन से ही हर जगह उसके लौटने की अपील कर रहे थे। गत बुधवार को वह कुलगाम में एक आतंकी के जनाजे में भी शामिल हुआ था। सूत्रों की मानें तो सेना ने माजिद इरशाद खान को आज सुबह ही राज्य पुलिस के हवाले किया है।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफती ने टवीट कर उसके सरेंडर की पुष्टि कर दी है। माजिद इरशाद करीब आठ दिन पहले ही लश्कर-ए-ताईबा का आंतकी बना था।
महबूबा मुफती ने माजिद के सरेंडर पर टवीट करते हुए लिखा है, अंतत: मां की ममता जीत गई। उसकी करुणामयी अपील ने एक उभरते फुटबाल खिलाड़ी को घर लौटने के लिए प्रेरित किया।
मुख्यमंत्री ने आगे लिखा है जब भी कोई नौजवान हिंसा के रास्ते पर चलता है तो सबसे ज्यादा उसका परिवार ही प्रभावित होता है।
गौरतलब है कि गत सप्ताह वीरवार को अनंतनाग के सादिकाबाद कारहने वाला 20 वर्षीय माजिद इरशाद लश्कर-ए-ताईबा का आंतकी बन गया था। उसके बाद से उसकी मां आयशा खान ने कुछ नहीं खाया,वहीं उसके पिता इरशाद खान को दिल का दौरा पड़ गया। उसकी मां लगातार उससे लौटने कीअपील कर रही है। उसके दोस्तों ने भी फेसबुक व अन्य माध्यमो से उसे वापस लाने का एक अभियान चला रखा है। गत बुधवार को वह कुलगाम में एक आतंकी के जनाजे में गोलियां चलाते हुए भी नजर आया था।
माजिद इरशाद खान को बीती रात सेना की 1 आरआर के जवानों ने एक विशेष सूचना के आधार पर अनंतनाग सेकुछ ही दूरी पर स्थित वन्पोह इलाके में उसके एक ठिकाने से पकड़ा है। कहा जाता है कि सेना ने सुनियोजित तरीके से उसके ठिकाने को घेरा और फिर उसे आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया। इसके बाद उसने खुद को सुरक्षाबलों के हवाले कर दिया।
माजिद के सरेंडर करने पर सेना के अधिकारियों ने सबसे पहले उसकी मां और पिता से उसकी बात कराई। इसके बाद वह माजिद को किसी अज्ञात स्थान पर ले गए।
सेना की विक्टर फोर्स के जीओसी मेजर जनरल बीएस राजू ने भी माजिद के सरेंडर की पुष्टि की है। संबधित सूत्रों की मानें तो आईजी मुनीर अहमद खान चाहते थे कि माजिद के सरेंडर करते ही सेना उसे चुपचाप पुलिस के हवाले कर देती ताकि वह अपने तरीके से उसके सरेंडर को आगे बढ़ाते।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि बीते साल बुरहान के करीबी तारिक पंडित ने भी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बजाय दक्षिण कश्मीर में सेना के समक्ष ही अपने परिजनों की मदद से सरेंडर किया था। उस समय पुलिस और सेना के अधिकारियों में मतभेद पैदा हो गए थे।