
बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..नगर के एक निर्दलीय पार्षद के द्वारा सोशल मीडिया में किया गया पोस्ट चाय की टपरी और चौक चौराहो में चर्चा का विषय बन गया है..पहले कभी सत्ता पक्ष के साथ रहे निर्दलीय पार्षद ने सीधे तौर पर सत्ता पक्ष के नेताओं पर निशाना साधा है..उन्होंने प्रदेश भाजपा के एक कद्दावर नेता के करीबियों को भी लपेटे में लिया है..जिसके बाद अब पार्षद के वॉट्सएप में किये गये पोस्ट के समर्थन में नगर के नागरिक भी एकजुट नजर आ रहे..हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से निर्दलीय पार्षद के पोस्ट पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नजर नही आ रही है..और हो सकता है की स्थानीय नेताओं की भी इसमें मौन स्वीकृति हो!.
कुछ बरस पीछे चले तो बलरामपुर के स्थानीय जनप्रतिनिधि बलरामपुर के साथ छलावे का राग अलापते हुए..तत्कालीन प्रदेश सरकार को कोसते रहे है..2001 में पुलिस जिला के रूप में अस्तित्व में आये बलरामपुर में सीमित संसाधन ही उपलब्ध थे..2012 में बलरामपुर ने राजस्व जिला के रूप जन्म लिया..जिसके ठीक तुरंत बाद जिले के नामकरण का पुरजोर विरोध शुरू हुआ..प्रदर्शन हुए..सीमित संसाधनों में बढ़ोत्तरी हुई..लेकिन एनएच 343 के किनारे बसे बलरामपुर की मांग बायपास सड़क की रही,जिसपर तत्कालीन सरकारों ने काम तो किया पर धरातल पर बायपास सड़क नजर नही आया..अब भी बायपास सड़क को लेकर असमंजस्य की स्थिति है..एनएच की टीम सर्वे के काम में लगी हुई है..इसी बीच राज्य सरकार ने करोड़ों के विकास कार्यों की स्वीकृति दी..जिसमें कुसमी में रिंग रोड,रामानुजगंज रिंग रोड पर पुल,और लगभग आधा दर्जन सड़कों के मजबूती करण के विकास कार्य शामिल है!..

अब समझते है निर्दलीय पार्षद के छलकते दर्द को पार्षद बताना चाह रहे है कि..एनएच 343 पर भारी मालवाहक वाहनों का दबाव रहता है..तेज रफ्तार वाहनों ने मुख्यालय की मुख्य सड़क से गुजरते राहगीरों में दहशत पैदा कर दिया है..और बलरामपुर में बायपास सड़क की आवश्यकता है..उन्होंने ने सत्ता पक्ष को आड़े हाथों लिया है..उनका सीधे और साफ तौर पर आरोप है कि..स्थानीय जनप्रतिनिधि इस ओर पहल नहीं कर रहे..और भी तमाम शब्दों से उन्होंने माननीयों को अलंकृत किया है!.
पार्षद की मांग भी जायज है..और इस पर काम भी हो रहा है..मगर रफ्तार थोड़ी धीमी है..नगर में वित्तीय वर्ष 2024 – 2025 में कई विकास कार्य स्वीकृत हुए..उनका भी हाल बेहाल है. सब कुछ कछवे की चाल की तरह है..कोई टोकने वाला नही है..और हो सकता है निर्दलीय पार्षद खुलकर इसलिए कह पा रहे हो..क्योंकि वे निर्दलीय है..शायद भाजपा के साथ में वे होते तो उन्हें भी माननीयों के निर्देशों का अक्षरशः पालन करना होता !.
बहरहाल निर्दलीय पार्षद अमित गुप्ता (मंटू) के एक पोस्ट ने नागरिकों को जागरूक कर दिया है..और आने वाले समय में सीमित मूलभूत संसाधनों में गुजारा करने वाली बलरामपुर की जनता सरकार से अपनी अपेक्षित अन्य मांगों को हर मंच पर रखने की जद्दोजहद करने में कोई कोर कसर ना छोड़े..फिलहाल यह सब राजनीति का पैमाना है..समय के साथ लोग बदल जाते है..कुर्सियां बदल जाती है..ऐसे में देखने वाली बात है कि पार्षद की भावनाओं से जुड़ा जनहित का यह मुद्दा की..रिंग रोड कब तक?.यह देखने वाली बात है!.