
Martyr MANMOHAN SINGH
सतना से पी मनीष की रिपोर्ट
छत्तीसगढ के सुकमा मे हुई नक्सली हिंसा मे की आंच मध्य प्रदेश के सतना तक पंहुच गई है। सतना जिले के सेमरी गांव के रहने वाले मनमोहन सिंह भी इस हिंसा मे शहीद हो गए है। गांव के चहेते मनमोहन की मौत से गांव मे मातम का सन्नाटा तो पसरा है , लेकिन 36 घंटे बीतने के बाद भी शहीद मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव सेमरी तक नही पहुँच पाया है ! शहीद के पार्थिव सरीर के इंतजार में बैठे है
छत्तीसगढ में हुए नक्सली हमले में जहाँ 16 जवान शहीद हुए वही मध्य मध्यप्रदेश के सतना जिले के समेरी गाँव के एक सपूत मनमोहन वो इलाबाद रवाना हो गए थे,, जहाँ से उनको छत्तीसगढ के जगदलपुर मे डियूटी के लिए भेजा गया था ! जहाँ मंगलवार को सर्चिंग के दौरान मनमोहन सुकमा में हुए नक्सली हमले में शहीद हो गए । इस हादसे के बाद राज्य शासन ने शहीद परिवार को भले ही 10 लाख रूपए कि राहत राशि की घोषणा कर दी है लेकिन परिजनो को तो बस इंतजार है अपने वीर सपूत के पार्थिव शरीर का जिसको भेजने मे काफी विलंब हो गया है।
छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली मुठभेड़ में जहाँ 16 जवान शहीद हुए है उनमे से एक जवान सतना के सेमरी का रहने वाला था । जिसके शहीद होने की खबर मिलते ही इलाके में मातम का सन्नाटा पसर गया। क्षेत्र के लोग अब शहीद के पार्थीव शरीर के इंतजार में बैठे है ! परिजन की माने तो सीआरपीएफ के जिम्मेदार अधिकारीयों द्वारा घटना की जानकारी परिजनो को नहीं दी गयी इतना ही नहीं 36 घंटे बीत जाने के बाद भी शहीद मनमोहन सिंह परिहार का शव उन तक नहीं पहुंच पाया ! शव के इंतजार मे परिजनो और ग्रामीणो की आँखे के आंसू से भी सूखने लगे है !
ऐसे मे शहीद मनमोहन सिंह के भाई का आरोप है देश भक्ति के जज्बे के साथ जवान देश के लिए लड़ते हुए शहिद तो हो गया है ,, लेकिन छत्तीसगढ़ प्रसासन और सीआरपीएफ के अधिकारीयों की गैर संवेदनशीलता के चलते मनमोहन के पार्थिव सरीर को अब तक गाँव की मिट्टी नसीब नहीं हुयी !
शहीद मनमोहन की नक्सली हमले में मौत के बाद परिजनो का रो-रो कर बुरा हाल हो गया ,,और गांव मे मातमी माहौल पसरा है ,हांलाकि राज्य शासन ने मुआबजे के एलान के सहारे मरहम से आंसू पोंछने का काम जरुर किया है! लेकिन बावजूद इसके शहीद का पार्थिव शरीर अब कर उसके गांव नही पंहुचा है।