गरियाबंद.. पिछले दिनो हुई भारी बारिश जिले वासियों के लिए हर तरह से मुसीबत का सबब बन गई है.. पहले जिले मे लोग बाढ़ के कहर से परेशान थे. अब बाढ का पानी खत्म होने के बाद लोग तरह तरह की बीमारी से जूझने लगे हैं.. बाढ के बाद पसरी बिमारी ने अब दो की जान ले ली है. तो कई लोग बिमारी की चपेट मे आ गए हैं..
जानकारी के मुताबिक बाढ थमने के बाद जिले के पहुंचविहीन गांव पायलीखण्ड में मलेरिया से एक छात्रा की मौत हो गई है.. तो वहीं खट्टी गांव में एक डायरिया पाडित बुजुर्ग महिला ने दम तोड दिया है.. इसके अलावा जिले के विभिन्न बाढ प्रभावित इलाकों मे दर्जनो, लोग मलेरिया और डायरिग से ग्रसित है तो उनमे से फिलहाल सात मरीज को जिला अस्पताल में इलाज जारी है.
पहुंचविहीन गांव मे नही पहुंच सका स्वास्थ्य अमला..
गौरतलब है जिले मे फैली बिमारी से हुई मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने खट्टी में मेडिकल हेल्थ कैंप लगा दिया है. जहां गांव के लोगों के हेल्थ चेकअप कर उन्हें दवाओं का वितरण किया जा रहा है. इसके अलावा गंभीर बिमार लोगों को जिला अस्पताल भेजने की कवायद भी जारी है.. लेकिन इसके साथ स्वास्थ्य अमला अब तक दूसरे सबसे अधिक प्रभावित पहुंचविहीन गांव
पायलीखण्ड में नही पहुंच पाया है.. और बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग ये दावा कर रहा है कि स्थिति नियंत्रण मे है.. ये चिंता का विषय है..
ऐसे फैलती है बिमारी..
बाढ प्रभावित इलाकों मे जब बाढ का पानी कम होता है तो वो अपने साथ लाई गंदगी प्रभावित इलाकों मे छोड देता है. जिससे मच्छर पनपते है. और फिर ये मच्छर इंसानो पर अटैक करते हैं जिससे मलेरिया और डेंगू का खतरा मंडराने लगता है.. इसके अलावा बाढ प्रभावित इलाकों मे बाढ उतरते ही सबसे बडी समस्या होती है स्वच्छ पेयजल की. जो बाढ की गंदगी मे प्रदूषित हो जाता है और फिर जब प्रभावित गांव के लोग मजबूरी मे दूषित पानी पीते है तो फिर उनको डायरिया जैसी घातक बिमारी हो जाती है.. तो फिलहाल गरियाबंद के प्रभावित गांवों मे जरूरत, है तत्काल स्वास्थ्य सेवा और फौरन शुद्द जल की.. जिसकी आपूर्ति की जिम्मेदारी प्रशासन की है….