नई दिल्ली। धारा 370 पर बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के बयान ने बहस की बजाय विवाद खड़ा कर दिया है। खुद बीजेपी इस मामले में बैकफुट पर आ गई है। पार्टी का कहना है कि कश्मीर पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। धारा 370 से जम्मू-कश्मीर के लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ। पार्टी ये भी कह रही है कि मोदी के बयान का गलत मतलब लगाया गया है लेकिन पार्टी की सफाई को दरकिनार कर मोदी ने विजयी भाव से दुहराया है कि उनकी अपील के बाद धारा 370 पर बहस शुरू हो गई है।
जम्मू के एम ए स्टेडियम में जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था कि धारा 370 का अच्छा या बुरा जो भी परिणाम हुआ, उस पर चर्चा होनी चाहिए। जाहिर है मोदी धारा 370 का विरोध करने या उसे खत्म करने की मांग के बीजेपी के रुख के उलट उसपर चर्चा की जरूरत बता रहे हैं और उसके बुरे के साथ-साथ अच्छे परिणाम होने की संभावना से भी इनकार नहीं कर रहे।
मोदी ने चर्चा छेड़ने की बात की थी, लेकिन खड़ा हो गया विवाद। ये बयान बीजेपी की मूल विचारधारा के उलट था। बीजेपी ही नही पूरा संघ परिवार ही जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की मुखालफत करता रहा है। लिहाजा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने जब ये बयान दिया तो सवाल उठा कि क्या धारा 370 पर पार्टी का रुख नरम हो गया है? क्या सत्ता में आने के लिए बीजेपी सोच बदलने की तैयारी में है। इन सवालों के बाद सफाई की बारी बैकफुट पर आई बीजेपी की थी।
नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि मोदी जी ने सिर्फ चर्चा की बात कही थी। वो सॉफ्ट नहीं हुए। 370 पर चर्चा की बात कहना, सॉफ्ट होना नहीं है। पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि धारा 370 पर बहस की मांग का आशय है कि वो जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के लोगों से कह रहे हैं कि आपने इससे क्या हासिल किया। वहां दलितों को, पिछड़ों को लाभ नहीं मिलता। वहां इतना भ्रष्टाचार है लेकिन प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट वहां लागू नहीं होता।
एक ओर बीजेपी के दिग्गज मोदी के बयान पर साफ-सफाई देने में जुटे थे, बयान का असल मतलब बताने में जुटे थे वहीं मोदी ने विजयी मुद्रा में एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा-खुशी हो रही है कि धारा 370 पर बहस की मेरी अपील के बाद चारों ओर इस पर बहस शुरू हो गई है। सारे टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर चर्चा जारी है। हमें इस पर केंद्रित और तार्किक बहस करनी चाहिए। न सिर्फ धारा 370 बल्कि जम्मू कश्मीर के लोग जिन-जिन मुश्किलों से जूझ रहे हैं उन सब पर बहस होनी चाहिए।
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मोदी के रुख में इस बदलाव को सीधे चुनावी रणनीति से जोड़ कर देखा। उनका कहना था कि लगता है बीजेपी घाटी में अपने सहयोगी तलाश कर रही है तो कांग्रेस का कहना है बीजेपी के रुख में धारा 370 पर ये नर्मी 2004 से ही है। पार्टी नेता मनीष तिवारी के मुताबिक 2004 के बीजेपी के घोषणा पत्र में भी 370 का मुद्दा गायब था।
बाहरहाल इस मामले में नरेंद्र मोदी के बयान पर सफाई देना और उसके सही मतलब बताना बीजेपी की मजबूरी है। वहीं संघ परिवार पूरी तरह खामोश है। मूलत: ये मुद्दा संघ का ही है और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की कश्मीर में पुलिस हिरासत के दौरान हुई मौत को संघ परिवार शहादत की तरह पेश करता है। ललकार रैली में मोदी के बयान के बाद सबसे अधिक सन्नाटा संघ परिवार में ही है।