• भगवान ‘श्रीकृष्ण’ ने बताया ‘मकर संक्रांति’ का महत्व.
भगवान ‘श्रीकृष्ण’ ने गीता में भी गीता में ‘मकर संक्रांति’ पर सूर्य के उत्तरायण होने के महत्व के बारे में बताया है जिसके मुताबिक, सूर्य के उत्तरायण के छह मास का समय बेहद शुभ समय होता है,क्योंकि जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं तो पृथ्वी प्रकाशमय रहती है इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता, ऐसे लोग ब्रह्म को प्राप्त होते हैं। जबकि सूर्य के दक्षिणायण होने पर पृथ्वी अंधकारमय होती है और इस अंधकार में शरीर त्याग करने पर पुनः जन्म लेना पड़ता है।
इसके साथ ही इस समय की सूर्य की किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। जिस तरह पौधा प्रकाश में अच्छे से खिलता है, अंधकार में सिकुड़ जाता है। उसी तरह मानव जीवन और प्रकृति भी इस दौरान अपने स्वरूप को बदलने की प्रक्रिया की शुरूआत करती है और बसंत के आने पर अपना पूरा रूप बदल लेती है।
‘मकर संक्रांति’ कहाँ कैसे मानई जाती है.
1. राजस्थान और गुजरात
‘मकर संक्रांति’ पर राजस्थान और गुजरात में पतंग उड़ाने की पंरपरा है। जिसकी वजह से गुजरात में ‘पतंग महोत्सव’ भी मनाया जाता है। इसके अलावा घरों में सूर्य पूजा करने के लिए घेवर, फैनी, तिल के लड्डू बनाएं जाते हैं। तो वहीं, महिलाओं को सुहाग का सामान देना शुभ होता है।
2. उत्तर प्रदेश
‘मकर संक्रांति’ का त्यौहार उत्तर प्रदेश बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन घरों में खिचड़ी बनाना और सेवन करना शुभ होता है। इसके अलावा इस दिन लोग तिल के लड्डू, तिल की गजक और मूंगफली के स्वाद का भी मजा उठाते हैं।
3. तमिलनाडु
‘मकर संक्रांति’ के त्यौहार को तमिलनाडु में ‘पोंगल’ नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग घर में साफ-सफाई करने के बाद आंगन में आटे और चावल के आटे से रंगोली बनाते हैं। इसके बाद मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है। जिसका सबसे पहले भोग सूर्य देव को लगाया जाता है।
तमिलनाडु में ये त्यौहार 4 दिनों तक चलता है।
4. बिहार-झारखंड
‘मकर संक्रांति’के त्यौहार पर बिहार-झारखंड में खिचड़ी के साथ ही दही-चूड़ा बनाने की परंपरा होती है। इसके अलावा रात के भोजन में तिल से बने व्यजंन बनाए जाते हैं।
5. महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में ‘ मकर संक्रांति’ का त्यौहार 3 दिन तक मनाया जाता है। इस दौरान
महाराष्ट्र की पारंपरिक ‘ पूरन पोली’ खाई जाती है। साथ ही तिल से बने व्यंजनों को बांटकर पुरानी कड़वाहट को भुलाने की पहल की जाती है।
राशियों पर मकर संक्रांति का फल इस प्रकार रहेगा.
मेष : धनलाभ
वृष : हानि
मिथुन : लाभ
कर्क : कार्यसिद्धि
सिंह : पुण्य लाभ
कन्या : कष्ट व पीड़ा
तुला : सम्मान व प्रतिष्ठा की प्राप्ति
वृश्चिक : भय व व्याधि
धनु : सरलता
मकर : विवाद
कुंभ : धनलाभ
मीन : कार्यसिद्धि
राशिनुसार इनका करें दान.
मेष : चादर, तिल
वृषभ : वस्त्र, तिल
मिथुन : चादर, छाता
कर्क : साबूदाना, वस्त्र
सिंह : कंबल, चादर
कन्या : तेल, उड़द दाल
तुला : रुई, राई, सूती वस्त्र
वृश्चिक : खिचड़ी, कंबल
धनु : चना दाल
मकर : कंबल, पुस्तक
कुंभ : साबुन, वस्त्र, अन्न
मीन : साबूदाना, कंबल, वस्त्र
?आपका दिन मंगलमय हो?
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ज्योतिर्विद पं० शशिकान्त पाण्डेय (दैवज्ञ)
9930421132