रायपुर…छत्तीसगढ़ प्रदेश मे दो चरणों मे हुए मतदान मे मतदाताओं ने बढ चढकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. और अब सभी आम और खास लोगों को इंतजार है 11 दिसंबर का. इस इंतजार के दौरान कुछ वजह ऐसी भी सामने आ रही है. जिससे प्रदेश की सत्ता परिवर्तन के संकेत मिल रहे हैं.
छत्तीसगढ़ मे नई सरकार के लिए मतदाताओं के वोट ईव्हीएम मे कैद हैं. इस दौरान प्रदेश मे सत्ता परिवर्तन के जो संकेत मिल रहे है उनमे से पहली बात…
- धान खरीदी केन्द्र मे सन्नाटा..
प्रदेश मे हर साल इस समय तक धान खरीदी मे काफी तेजी आ जाती थी. लेकिन इस चुनावी वर्ष मे धान खरीदी की रफ्तार ना के बराबर है . मतदान के पहले तक ये अनुमान लगाया जा रहा था कि हो सकता है किसानों ने अभी अपनी फसल नहीं काटी होगी. या फिर चुनाव के सोरगुल के बाद वो अपने कटी हुई फसल को बेंचने धान खरीदी केंद्र आएगें. लेकिन उसके बाद भी धान खरीदी केन्द्र मे पसरा सन्नाटा इस बात की ओर संकेत करता है कि शायद किसानों को नई सरकार बनने का इंतजार है. जिससे कांग्रेस के वादे के मुताबिक उन्हें धान की बढी कीमत मिल सके.
- 15 साल की एंटी इनकमवेंसी
ये तो सब जानते है कि पिछले तीन पंचवर्षीय यानी की 15 वर्षों से प्रदेश मे भाजपा की सरकार है. और 15 साल तक सरकार ने प्रदेश की जनता के लिए भले ही कितने अच्छे काम किए हों. लेकिन लोगो के बीच सरकार के प्रति स्वाभाविक एंटी इनकमवेंसी का माहौल बन जाता है. तो ये एक खास वजह है. जिससे प्रदेश मे सरकार बदलने के संकेत मिल रहे हैं.
- कांग्रेस के पक्ष मे बेहतर वातावरण
चुनाव की तारीख का एलान होने के साथ स्वाभाविक तौर पर कांग्रेस के प्रति बेहतर वातावरण दिख रहा था. खासकर प्रदेश के सरगुजा और बस्तर संभाग मे. तो अगर कांग्रेस नेताओं ने भाजपा की मजबूत मनेजमेंट मे सेंध करके अपने पक्ष की हवा भरने मे कामयाबी पा ली होगी. तो फिर प्रदेश मे कांग्रेस की सरकार बनने के संकेत प्रबल हो जाते हैं.
- नक्सल समस्या
प्रदेश मे बस्तर इलाका जो नई सरकार की दिशा और दशा तय करने मे एकेले ही सक्षम है. वहां प्रदेश की भाजपा सरकार ने कुछ हद तक समस्या को कम करने का प्रयास जरूर किया है. लेकिन 15 साल के लंबे अंतराल मे जहां लोगो को इस समस्या से मुक्ति की उम्मीद थी. वहीं बहुत हद तक ये समस्या अब भी बस्तर के लोगों के लिए काल बनी हुई है. इतना ही नहीं ऐन मतदान के पहले नक्सलियों ने हिंसा करके ये संकेत दिए थे. कि वो अभी भी वैसे ही सक्रिय हैं. जैसे 15 साल पहले थे. तो ऐसे मे प्रदेश के लोग पुरानी सरकार को नक्सल समस्या के मुद्दे मे फेल मानते हैं. और ये प्रमुख वजह है जिससे प्रदेश मे कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिखाई देती है.
- जोगी माया की जोडी
जोगी माया गठबंधन वाले दल का सबसे अधिक प्रभाव बिलासपुर संभाग मे देखा गया है. जिसमे वो कई सीटो पर कांग्रेस के लिए मुसीबत का कारण बने हुए हैं. लेकिन ऐसे मे अगर इस इलाके से कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन और अपनी हवा को लपकने मे सफल हो पाई होगी. तो फिर कांग्रेस के लिए बेहतर वातावरण का निर्माण तय हैं.
- भाजपा का टिकट वितरण…
भाजपा ने इस बार के राज्य विधानसभा चुनाव में कई ऐसे नेताओं को टिकट दी थी..जो मौजूदा दौर में विधायक है..यही नही राज्य सरकार में मंत्रिमंडल का हिस्सा भी रहे..और अपेक्षा के मुताबिक विकास नही होने पर क्षेत्र की जनता में जनाक्रोश रहा..तो वही कई ऐसे नेताओं को चुनाव मैदान मे उतारा जिन्होंने 2013 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया..तो सूबे की कुछ ऐसी भी सीटे रही जिन पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने खुलकर बगावत कर दी…जबकि कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की काफी मंथन के बाद एक -एक कर सात किश्तों में जारी की…