बलरामपुर …आज सम्पन्न हुये रमन सरकार की कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों की अनदेखी से कर्मचारी संघों में नाराजगी है.. और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार कर्मचारियों को आंदोलन के लिये बाध्य कर रही है..कर्मचारियों के पास उग्र आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नही बचा है.. उक्त बातें छग प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के बलरामपुर जिलाध्यक्ष रमेश तिवारी ने कही..
रमेश तिवारी ने बताया कि कर्मचारी वर्ग आशान्वित थे कि केबिनेट की बैठक मॆ कर्मचारी हितैषी निर्णय लिये जायेंगे। जिसमें लिपिक वेतन विसंगति दूर करने, चार स्तरीय पदोन्नति वेतनमान, सातवें वेतन का एरियर्स, मंहगाई भत्ता एवं गृह भाडा भत्ता पुनरीक्षित करने, अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण व अन्य माँग प्रमुख हैं। परंतु सरकार ने कर्मचारियों को झुनझुना थमा दिया है..
रमेश तिवारी ने बताया कि कैबिनेट की बैठक के पूर्व उनके संघ “छग प्रदेश लिपिक वर्गीय शास कर्म संघ” ने पाँच चरणों मे आंदोलन किया, जिसमे प्रथम चरण में 11 मई को प्रदर्शन एवं कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन, 26 मई को प्रदर्शन एवं कमिश्नर के माध्यम से ज्ञापन, 1 से 26 जून तक काली पट्टी लगाकर विरोध प्रदर्शन, 27 जून को एक दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर प्रदर्शन, तथा पंचम चरण में 26 एवं 27 जुलाई को दो दिवस का सामूहिक अवकाश लेकर प्रदर्शन किया गया। छत्तीसगढ़ विकास यात्रा के दौरान बलरामपुर के साथ ही कई जिलों में मुख्यमंत्री से मुलाकात करके लिपिक हितैषी माँगो के निराकरण हेतु ध्यान आकृष्ट किया था, परंतु शासन की हठधर्मिता एवं असंवेदनशील रवैये ने हमें अपने हक़ और अस्मिता के लिये अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिये विवश कर दिया है..उन्होने बताया कि 15 अगस्त तक यदि लिपिकों की मांगो पर सकारात्मक पहल नही होती, तो अनिश्चितकालीन आंदोलन का शंखनाद होगा और पूरे प्रदेश भर के लिपिक कार्यालयों में तालाबन्दी करके, काम काज ठप्प करेंगे..
छत्तीसगढ़ सरकार अतिउत्साह में कर्मचारियों की अनदेखी कर रहा है, उनके द्वारा अपने किये गये वादे भी याद नही रहे.. उनकी वादाखिलाफी का ही परिणाम है कि आज हर वर्ग आंदोलन की राह पर है, बावजूद उसके सरकार उनकी माँगो को नजरअंदाज कर रही है। सरकार को कर्मचारियों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा, जिसका खामियाजा आगामी चुनाव में भुगतना पड़ सकता है..