बिहार- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले के दुमका कोषागार मामले में दोषी ठहराया है साथ ही जगन्नाथ मिश्रा समेत 12 लोगों को इस मामले में आज सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया है। चारा घोटाले के कांड संख्या आरसी 38ए/96 में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव सहित 18 आरोपियो को दोषी करार दिया है. सभी दोषियो को 21, 22 और 23 मार्च तक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सजा सुनाई जाएगी। उन्होंने बताया 6-6 दोषियों को सजा सुनाई जाएगी।
सीबीआई की विशेष अदालत में फैसला
केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने दुमका कोषागार से अवैध निकासी से जुड़े मामले में अपना फैसला पांच मार्च तक सुरक्षित कर लिया था। 16 मार्च को सीबीआई अदालत ने पहले लालू की उस नयी याचिका पर फैसला सुनाया जिसमें उनके वकील आनंद ने चारा घोटाले के इस मामले में बिहार के तत्कालीन महालेखा परीक्षक, उपमहालेखा परीक्षक तथा महालेखाकार कार्यालय के निदेशक पर संलिप्तता का मुकदमा चलाने की मांग की थी। अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत लालू ने इन तीनों को भी नोटिस जारी कर इस मामले में सह अभियुक्त बनाने का अनुरोध किया था।
अदालत ने संबद्ध तीनों अधिकारियों को तीन सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने के लिए समन जारी किए थे। लालू प्रसाद ने अपने वकील के माध्यम से पूछा था कि अगर इतना बड़ा घोटाला बिहार में हुआ तो उस दौरान 1991 से 1995 के बीच बिहार के महालेखाकार कार्यालय के अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी? यह याचिका बुधवार 14 मार्च को ही दायर की गयी थी।
24 जनवरी को चाईबासा कोषागार मामले में सुनाई गई सजा
इससे पहले इसी वर्ष 24 जनवरी को लालू प्रसाद एवं जगन्नाथ मिश्र को सीबीआई की विशेष अदालत ने चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये का गबन करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में दोषी करार देते हुए पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास साथ ही दस लाख एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी। सीबीआई की विशेष अदालत में कुल 50 आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनायी थी।