अम्बिकापुर (निलय त्रिपाठी) रतनजोत का बीज खाने से नेत्रहीन विद्यालय के 8 बच्चे बीमार हो गए… बीमार बच्चों को आनन-फानन में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बतौली ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने मेडिकल कालेज अस्पताल अंबिकापुर के लिए रेफर कर दिया.. रतनजोत से प्रभावित छात्र नंदकुमार 12 वर्ष, अरबी 7 वर्ष, रोहित 7 वर्ष, दिनेश पैकरा 8 वर्ष, भानु 8 वर्ष, शिवनाथ 6वर्ष, जगन्नाथ 6 वर्ष, अघनसाय 12 वर्ष है। लेकिन हद तो तब ह्यो है जब डॉक्टरों द्वारा रेफर किये जाने के 4 घण्टे बाद भी बीमार छात्रों को मेडिकल कालेज अस्पताल नही लाया गया.. इस दौरान बतौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बीमार छात्रों को स्कूल के शिक्षक छत्रावास ले गए और वहां ताला बंद कर घंटो अंदर खाना पीना चलता रहा.. इसके बाद जिम्मेदार बच्चों को लेकर अम्बिकापुर के लिए निकले तो लेकिन समाचार लिखे जाने तक इलाज के लिए जा रहे लोग बच्चो सहित रघुनाथपुर के प्रसिद्ध जायसवाल होटल में आलूबंड़े और चाय का लुत्फ उठा रहे थे।
वही डॉ के द्वारा 4 बच्चों की ज्यादा तबियत खराब होने की वजह से जिला चिकित्सालय के लिए रेफर किया गया लेकिन स्कूल के शिक्षक शिक्षिकाओं ने पहले स्कूल पहुंच आराम से खाना पीना खाने के बाद लगभग 1 घंटे बाद रिफर बच्चों को जिला चिकित्सालय ले जाना सही समझा और स्कूल के गेट पर ताला लगा दिया जिससे कोई भी बाहर का व्यक्ति अंदर ना जा सके, स्कूल प्रबंधन की भूमिका इस दौरान संदेहास्पद है।
डॉ अखिलेश भारत BMO
इस संबंध में बी एम ओ डॉ अखिलेश भारत ने बताया की इनमे से 4 की स्थिति थोडा ज्यादा खराब होने की वजह से सभी को जिला चिकित्सालय उपचार हेतु रेफर किया गया है
इस मामले में जब फटाफट न्यूज़ ने स्कूल प्रबंधन से संपर्क करना चाहा तो स्कूल की शिक्षिका ने बात करने से मना कर दिया जब फटा-फट के द्वारा पूछा गया कि आप लोगों के द्वारा डॉक्टर के रेफर करने के बावजूद बच्चों को स्कूल ले जाया गया है तो इस पर स्कूल की शिक्षिका ने सीधा आरोप डॉक्टर पर लगा के बात को घुमाना चाहा नेत्रहीन स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि डॉक्टर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बतौली में डॉक्टरों के द्वारा इलाज नहीं किया गया बिना देखे हम लोगों को अंबिकापुर के लिए ले जाने को कहा।