अम्बिकापुर (सुशील कुमार) सरगुजा जिले के बनया गांव का रहने वाला 25 वर्षीय अजय यादव का शव चिरगा गांव के टांगरडीह जंगल मे मिला है, युवक की पहचान उसकी मोटरसाईकिल के आधार पर हुई है,, जो घटना स्थल वाले जंगल की एक ग्रामीण सडक पर पडी थी,, लेकिन शव मिलने के बाद एक बार फिर से स्वास्थ विभाग का अवमानवीय व्यवहार देखने को मिला है, क्योकि स्वास्थ विभाग ने एक बार फिर खुले मे पोस्टमार्टम करके ये साबित कर दिया कि सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य जिले मे स्वास्थ व्यवस्था की बेहतरी के तमाम दावे खोखले है..
मृतक अजय यादव जिले के सीतापुर थाना क्षेत्र के बनया गांव का रहने वाला था, जो अम्बिकापुर मे किसी प्रेस मे काम करता था और कभी कभार को छोड कर ज्यादातर दिन वो काम करके अपने गांव वापस लौट जाता था,, लेकिन तीन दिन पहले वो गांव नही लौटा, इसी दौरान मृतक के पिता को बतौली पुलिस से ये सूचना मिली कि आप के नाम से रजिस्ट्रर्ड मोटरसाईकिल चिरगा के जंगल मे एक पेड के नीचे पडी हुई है,, जिसके बाद पिता विरेन्द्र यादव को किसी अनहोनी का भय हुआ और वो जब घटना स्थल पर पंहुचे और पुलिस के साथ अपने बेटे की खोजबीन की तो उनके बेटे का शव मोटरसाईकिल के आगे जंगल के एक पेड मे लटका हुआ था..
बतौली थाना क्षेत्र के चिरगा गांव के जंगल मे मिला अजय यादव का शव तकरीबन तीन दिन पुराना था , लिहाजा शव बुरी तरह से खराब हो गया था,, इधर पुलिस के मुताबिक घटना स्थल वाले गांव के सरपंच ने उन्हे एक लावारिश मोटरसाईकिल पडे होने की सूचना दी थी,, जिसके बाद उन्होने मोटरसाईकिल के रजिस्ट्रेश के आधार पर बाईक के मालिक से संपर्क किया और तब पता चला कि मोटरसाईकिल मालिक का बेटा अजय यादव मोटरसाईकिल लेकर निकला था.
पुलिस ने गांव वाली की सूचना पर अपना काम किया लेकिन जब शव के पोस्टमार्टम के लिए स्वास्थ विभाग की बारी आई तो उन्होने फिर वही चूक की जो सरगुजा जिले मे बार बार देखने को मिलती है, दरअसल शव को पोस्टमार्टम के लिए किसी पोस्टमार्टम हाउस नही ले जाया गया , बल्कि वाहन ना होने का बहाना बनाते हुए शव का पोस्टमार्टम घटना स्थल मे ही कर दिया गया, जिसके बाद हमने जब डाक्टरो से इस अवमानवीय व्यवहार की वजह जाननी चाही,, तो उन्होने कहा कि उनके स्वास्थ केन्द्र मे पोस्टमार्टम करने की व्यवस्था नही है, इतना ही नही डाक्टर साहब ने पोस्टमार्टम भी किया तो शव से इतना दूर खडा होकर जितने मे शायद उनको शव का कोई अंग भी ना दिखता हो,
मतलब डाक्टर साहब ये कहना चाह रहे है कि उनके पास पोस्टमार्टम करने की व्यवस्था नही है तो वो खुले मे ही पोस्टमार्टम करेंगे, मतलब जब इंसान का आपरेशन किया जाता है तो उस कक्ष मे डाक्टरी टीम के अलावा किसी को घुसने नही दिया जाता है और जब मरने के बाद किसी इंसान का आपेऱशन करना हो तो सरगुजा का स्वास्थ महकमा खुले मे ही उसका आपेरशन /पोस्टमार्टम कर देता है,, बहरहाल बेटे के शव मिलने के बाद पिता सदमे मे है,, और स्वास्थ विभाग की बडी लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है..