इमरान रजा की रिपोर्ट
सरगुजा । जिले में सहकारी समितियों में पहुंच रहे किसानो को खुलेआम लूटा जा रहा है। धान लेकर समिति पहुंचने वाले किसानों को खुद हमाल बनकर धान की पलटी, बोरियों की सिलाई व धा की तौलाई करनी पड़ रही है। किसानो को इस परेषानी से गुजरना न पड़े इसके लिए शासन ने प्रति क्विंटल नौ रूपए की राषि भी तौलाई, सिलाई व धान पलटी के लिए समितियों को उपलब्ध कराया है बावजूद इसके सहकारी समिति प्रबंधकों की मनमानी से किसानो को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।
सरगजा जिले में सहकारी समितियों में अब धान की आवक तेज हो गई है। किसानों की बढ़ती भीड़ के कारण अब किसानों को धान बिक्री के लिए समिति में ही पहरेदारी करने की नौबत आ गई है। सहाकारी समितियों में धान लेकर पहुंुचने वाले किसानों को कई तरह की परेषानियों से गुजरना पड़ रहा है। समितियों में कई दिनों से धान लेकर बैठे किसानों को खुद धान की पलटी, तौलाई व बोरो की सिलाई करनी पड़ रही है जबकि इसके लिए षासन ने सहकारी समितियों को प्रयाप्त राषि उपलब्ध कराई है ताकि किसानों को धान बेचने में दिक्कतें न आए। समिति प्रबंधकों की मनमानी से किसानों को काफी परेषान होना पड़ रहा है। किसानों को सहकारी समितियों के हमालों की तरह काम करना पड़ रहा है किसान परिवार सहित समितियों में पहुंच अपने घर से धान भर कर ले गए बोरो को खाली कर रहे है। और तौलाई का काम करने मे ही लगे है। ऐसा नजारा संभाग मुख्यालय के सबसे निकट नमनकाला सहकारी समिति में देखने को मिला जहां किसान अपने परिवार के सदस्यों के साथ हमालों की तरह काम कर रहे है,,,,,,साथ ही आस-पास से पहुंचे किसानो ंने बताया की मजबूरी में उन्हें हमालों का काम करना पड़ रहा है क्योंकी समितियों में कोई सुविधा ही नही है। जब्की किसानो के द्वारा समिति को 15 रू. अतिरिक्त बोरो की सिलाई और तौलाई का देना पड़ रहा है जब्की वह खुद ही अपना काम कर रहे है।
धान बेंचने केन्द्र तक पहुंच रहे किसानो ंसे कराए जा रहे हमाल के काम की जानकारी जब हमने जिले के अधिकारियों से लेनी चाही तो उन्होने अपना वही रटा रटाया जवाब देते हूए कहा की अगर इस तरह की षिकायत उन्हें प्राप्त होती है तो वह समिति प्रबंधकों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे।
गौरतलब है की यह हाल केवल नमनाकला सहकार समिति का नही बल्कि जिले के हर समितियों का यही हाल है जहां समिति प्रबंधक अपनी मनमानी से केन्द्र का संचालन कर रहे है जिसका खामियाजा किसानो ंको उठाना पड़ रहा है। फिलहाल किसानों की सुध लेने वाला जिला प्रषासन गहरी निंद मे है जिसे निंद से जगाने की कोषिष हमने की पर प्रषासन अपनी निंद से उठने को तैयार ही नही है। अब देखना यह होगा की कितने दिन औरकिसानो को हमालों का काम करना होगा और अपना ही रू. व्यर्थ खर्च करना होगा।