भजिए आपने खाए ही होंगे पर यदि कोई आपसे यह कहें कि कोई व्यक्ति भजिए बनाने के लिए उनको कागज की कढ़ाही पर तलता है तो शायद आप विश्वास नहीं कर सकोगे पर आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति से मिलवा रहें हैं जो की कागज की कढ़ाही में ही भजिए तलता है और वो भी पिछले 20 सालों से, आइये मिलते हैं इस व्यक्ति से।
कागज की कढ़ाही में पिछले 20 साल से भजिए तलने वाले इस व्यक्ति का नाम नारायण राठौर है, यह व्यक्ति “नाहरसिंह माता मंदिर” का पुजारी है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के मंदसौर में स्थित है। मंदिर का यह पुजारी हर साल दुर्गा अष्टमी पर कागज की कढ़ाही में ही भजिए तलता है। इनसे पहले यहां पर राधाकिशन राठौर तथा गणपत राठौर द्वारा भी भजिए इसी प्रकार से तले जाते थे। मंदिर के पुजारी राठौर का कहना है कि “सालों से यह परंपरा चली आ रही है। माताजी की कृपा से 20 साल पहले पं. गणपत राठौर से यह सीखा था। कोशिश में कामयाब हुए तब से यह प्रथा चली आ रही है। हम तो प्रयास करते हैं, बाकी सब माता की कृपा से होता है।”
राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रसायन शास्त्र के प्राध्यापक अरविंद सहाय का कहना है कि “कोयले की सिगड़ी पर कागज की कढ़ाही में भजिए तलना थोड़ा विचारणीय प्रश्न है। इसका स्पष्ट कारण है कि मोटा कागज उपयोग किया जा रहा है तो यह संभव हो सकता है। कागज तेल को सोख लेता है जिससे कागज को जलने में समय लगता है। सिगड़ी की गर्मी से तेल गर्म हो जाता है, भजिए बनाए जा सकते हैं।”, खैर कारण जो भी रहा हो असल बात तो रोचक ही है कि कागज की कढ़ाही पर भजिए तले जा रहें हैं और वो भी बिना किसी परेशानी के।