बापू यानी महात्मा गांधी ने अपने जीवन में बहुत कुछ कहा जो की बहुत प्रेरणास्पद है, बापू के इन्हीं शब्दों में से कुछ शब्द थे “मेरा पूरा जीवन एक संदेश है”, बापू के ये शब्द प्रत्येक व्यक्ति को यह याद दिलाते हैं कि अपने जीवन को कुछ इस प्रकार के जियो की आपके बाद भी आपका जीवन लोगों को एक संदेश देता रहें। बापू के इन्हीं शब्दों को अपने जीवन में पूरा उतरा था “अब्दुल हामिद कुरैशी” ने, जो की बापू के भक्त ही नहीं थे बल्कि उनके साबरमती आश्रम के अध्यक्ष भी थे, इसके अलावा मुहम्मद कुरैशी एक प्रसिद्ध वकील भी रहें हैं। 89 वर्षीय मुहम्मद कुरैशी की अंतिम इच्छा यही थी कि उनको दफनाया न जाए बल्कि उनका दाह संस्कार किया जाए इसलिए अब उनके इंतकाल के बाद में उनके शरीर को वैदिक रीति से दाह संस्कार किया गया।
मुहम्मद कुरैशी का निधन नवरंगपुरा सोसायटी में अपने नाश्ते की टेबल पर हो गया था, निधन के बाद में उनकी अंतिम इच्छा का ध्यान रखते हुए परिवार के लोगों ने उनके शरीर को वैदिक रीति से दाह संस्कार करवा पवित्र अग्नि को समर्पित कर दिया। मुहम्मद कुरैशी के भाई के दामाद भारत नाइक ने इस मौके पर कहा कि “कुरैशी साहब अपना दाह संस्कार इसलिए चाहते थे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उन्हें दफना कर जमीन का टुकड़ा बर्बाद किया जाए”, परिवार के सामने ऐसे फैसले का उन्होंने मुझे गवाह बनाया था, “पिछले 4 साल से मुहम्मद कुरैशी अपने बेटे अकील कुरैशी को यह बार-बार ध्यान दिलाते रहते थे कि उनको दफनाया न जाए बल्कि उनका दाह संस्कार किया जाए” इसलिए शनिवार को मुहम्मद कुरैशी के इंतकाल के बाद में उनके परिजन उनको कब्रिस्तान की जगह श्मशान घाट लेकर गए जहां पर शाम 7 बजे उनका वैदिक रीति से दाह संस्कार किया गया।