बलरामपुर
शासन द्वारा जहां मरीजों की सुविधाओं के लिये एम्बुलेंस मुहैया कराया गया है, वहीं रामानुजगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इकलौते एम्बुलेंस में मरीजों की जगह खपरा ढुलवाये जाने का मामला प्रकाश में आया है। मामले में अधिकारी-कर्मचारी इस पर खुलकर बोलने के लिये सामने नहीं आये, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा शासकीय वाहनों का किस-किस प्रकार दुरूपयोग किया जाता है इसका जीता-जागता उहादरण बलरामपुर जिले के रामानुजगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में देखा जा सकता है। केंद्र में संचालित एक मात्र एम्बुलेंस जो कि मरीजों को लाने- ले जाने में उपयोग किया जाना चाहिये, वहीं केंद्र में एम्बुलेंस का दुरूपयोग खपरा ढुलवाने सहित अन्य सामान ढोने के काम में अकसर देखा जाता है।
इस संबंध में कुछ मरीजों ने भी दबी जुबान से यह बात स्वीकार की, कि ऐसा कई बार उन्हें भी देखने में मिला है। एक तरफ जहां हाल में ही बहु चर्चित खबर उड़ीसा के कालाहाण्डी जिले में सुनने को मिला था। जहां एक व्यक्ति का एम्बुलेंस के अभाव में अपने पत्नि के शव को अपने 14 वर्ष की बेटी के साथ कंधे पर रखकर 10 से 12 किमी का सफर तय करना पड़ा था।वही मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में प्रसूता को पैदल अस्पताल जाना पडा था , ऐसी खबर से सीख लेने के बजाये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद में किसी भी अचानक पड़ी जरूरत को छोडक़र एम्बुलेंस को दिगर काम के लिये उपयोग किया जाना संदेह के दायरे में है। इस संबंध में बीएमओ डॉ. स्नेहलता तिर्की से जानकारी ली गई तो उन्होंने इस मामले में कुछ बोलने से मना कर दिया। वहीं सीएचएमओ बलरामपुर डॉ. जगदीश मेश्राम ने बताया कि 30 बिस्तर वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामानुजगंज में मरीजों के लिये एक एम्बुलेंस की सुविधा है। ऐसी कोई शिकायत मुझे नहीं मिली है। यदि ऐसी शिकायत है तो गंभीरता पूर्वक जांच की जायेगी।