[highlight color=”red”]नई दिल्ली[/highlight]
सुनकर अजीब लगता है, मगर यह सच है। राजस्थान के धोलपुर में एक कब्रिस्तान के बीचोबीच मदरसा है जिसमें करीब 30 बच्चों रोज पढ़ने आते हैं। 6 से 14 साल के यह बच्चे बड़े ध्यान से बांस के सहारे खड़े ब्लैक बोर्ड पर लिखा पढ़ते हैं। कब्रिस्तान में यह मदरसा पिछले 13 सालों से चल रहा है। हर दिन, बच्चे कब्रिस्तान के गेट के बाहर चप्पल उतार कर कब्रों से होते हुए अपनी ‘कक्षा’ तक पहुंचते हैं। यह कब्रिस्ताव एक बड़ी मस्जिद के पिछवाड़े स्थित है, इस मस्जिद में इन बच्चों को जाने की इजाजत नहीं है। दरअसल, बच्चे अपना पाठ भी धीमी आवाज में याद करते हैं ताकि मस्जिद के केयरटेकर को बुरा न लगे। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, बाकायदा एक चेतावनी जारी की गई है कि ‘बच्चों की आमद से मस्जिद पाक साफ नहीं रह जाएगी।’ एक स्थानीय नागरिक ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ”यहां खेलना तो किसी लॉटरी जैसा है। वे (बच्चे) तेज आवाज में बोल नहीं सकते। असल में, कुछ रसूखदार मुस्लिमों ने बच्चों के कब्रिस्तान में पढ़ने पर भी आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि इससे कब्रों को दिक्कत होती होगी।”
स्थानीय नागरिकों के अनुसार, सरकार ने मदरसा को किसी और जगह शिफ्ट किए जाने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन नई जगह काफी दूर है और उससे बच्चों की संख्या घटने की आशंका है, टीचर वहां नहीं जाना चाहते। हर गुजरते दिन के साथ कब्रिस्तान में जगह घटती जा रही है। टीचर्स को लगता है कि जल्द ही यहां चलने की जगह भी नहीं बचेगी। जिन दिनों किसी को दफनाया जाता है, उस दिन कोई क्लास नहीं लगती। मदरसा में कुल 60 बच्चे हैं, लेकिन एक साथ 30 से ज्यादा बच्चे नहीं बैठ पाते। ज्यादातर को मिड डे मील का लालच रहता है। बच्चे गरीब परिवारों से हैं। बच्चों के पढ़ने की यह जगह मदरसा बोर्ड के तहत आती है जिसे राज्य सरकार से ग्रांट और सहायता मिलती है। संपत्ति राजस्थान वक्फ बोर्ड के अधीन रजिस्टर्ड है।