गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित आमामोरा ओंड़, जिसे स्थानीय लोग “गरियाबंद का शिमला” कहते हैं, एक बार फिर कुदरत के अद्भुत नज़ारे से सराबोर हो उठा है। दिसंबर की कड़ाके की ठंड के साथ ही यह इलाका ओस की जमी हुई बूंदों से ढकने लगा है, जो सुबह के समय बर्फ की सफेद चादर का एहसास कराती हैं। इस बार तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक गिरने के साथ कई बार शून्य से नीचे पहुंच रहा है, जिसके चलते रोजाना क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में ओस जमकर बर्फ जैसी परत बना रही है।
करीब 3000 फीट की ऊंचाई पर बसा आमामोरा ओंड़ जिले का सबसे ऊंचा बसाहट वाला क्षेत्र माना जाता है। यहां की जलवायु और भौगोलिक बनावट इसे खास बनाती है। रात के समय गिरने वाली ओस जमकर घास और पौधों पर टिक जाती है, जिससे पठारी क्षेत्रों में हरियाली लंबे समय तक बनी रहती है। यही प्राकृतिक विशेषता इस इलाके को शाकाहारी वन्य प्राणियों के लिए सुरक्षित और अनुकूल आवास बनाती है।
घने घास के मैदान और प्राकृतिक जलस्रोतों के कारण यहां सांभर, चीतल, कोटरी और नीलगाय जैसे वन्य प्राणियों की अच्छी-खासी मौजूदगी रहती है। वन्यजीवों की निरंतर आवाजाही के चलते यह क्षेत्र बाघ विचरण क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। ठंड के मौसम में जब आमामोरा ओंड़ बर्फ की चादर में लिपट जाता है, तब यह न सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि प्रकृति और वन्यजीवन के अनूठे संतुलन की जीवंत तस्वीर भी पेश करता है।
