बलरामपुर। छत्तीसगढ़ में डीएड योग्यताधारी हजारों शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता बंद होने से उत्पन्न असंतोष के बीच छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन, बलरामपुर ने बीएड ब्रिज कोर्स शुरू करने की जोरदार मांग उठाई है। एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष पवन सिंह ने इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा, छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षा विभाग के सचिव, एससीईआरटी के संचालक तथा लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक को पत्र लिखकर डीएड योग्यताधारी शिक्षकों के लिए बीएड ‘ब्रिज कोर्स’ का प्रावधान करने का आग्रह किया है।
पत्र में उल्लेख किया गया है कि छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 के तहत व्याख्याता पदोन्नति के लिए प्रशिक्षित स्नातकोत्तर की पात्रता तय की गई थी, जिसमें बीएड, डीएड या समकक्ष प्रशिक्षित शिक्षक भी शामिल थे। हालांकि, एनसीटीई के प्रावधानों के आधार पर माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद अब केवल बीएड प्रशिक्षित शिक्षकों को ही पदोन्नति का लाभ मिल रहा है। इस बदलाव के कारण प्रदेश के हजारों डीएड प्रशिक्षित शिक्षक पदोन्नति से वंचित हो गए हैं।
जिलाध्यक्ष पवन सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में डीएड, डीपीई, बीटीआई अथवा समकक्ष योग्यता रखने वाले शिक्षक प्राथमिक सहायक शिक्षक और पूर्व माध्यमिक शिक्षक के पदों पर वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं। वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और एनसीटीई के दिशा-निर्देशों के तहत प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शिक्षकों के लिए पदोन्नति हेतु बीएड की अनिवार्यता कर दी गई है, जिससे बड़ी संख्या में शिक्षक प्रभावित होकर मानसिक और व्यावसायिक रूप से पीड़ित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में बीएड ब्रिज कोर्स की आवश्यकता और प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने मांग की है कि प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 5) और पूर्व माध्यमिक स्तर (कक्षा 6 से 8) में कार्यरत वे सभी सहायक शिक्षक और शिक्षक, जो केवल डीएड या समकक्ष योग्यता रखते हैं, उनके लिए एनसीटीई के नियमानुसार पाठ्यक्रम संचालित करते हुए अनिवार्य छह माह का बीएड ब्रिज कोर्स शासन स्तर पर शीघ्र प्रारंभ किया जाए।
पवन सिंह ने कहा कि प्रदेश के हजारों डीएड एवं समकक्ष प्रशिक्षित शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए विभागीय स्तर पर बीएड ब्रिज कोर्स पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाना आवश्यक है, ताकि योग्य और अनुभवी शिक्षकों को पदोन्नति से वंचित न होना पड़े और शिक्षा व्यवस्था को भी उनका लाभ मिलता रहे।
