
सूरजपुर/पारसनाथ सिंह। नेशनल हाइवे पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बेहद हैरान कर देने वाली लापरवाही सामने आई है। सूरजपुर जिले में बिश्रामपुर-अम्बिकापुर मार्ग पर NH-43 पर एक तेज रफ्तार बालू लोड हाइवा में चार स्कूली बच्चों को बैठे देखा गया। बच्चे पूरी तरह यूनिफॉर्म में थे और अपने स्कूल बैग थामे हुए जान हथेली पर रखकर कभी बालू के ढेर पर, तो कभी हाइवा के केबिन के किनारों पर बैठे नजर आए।
यह वीडियो मंगलवार को जयनगर थाना क्षेत्र के पार्वतीपुर गांव के पास शूट किया गया, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि बालू लदी हाइवा (CG15/EB/0698) तेज रफ्तार से दौड़ रही थी और उस पर बच्चे सवार हैं। यह नजारा न केवल दिल दहलाने वाला है, बल्कि सरकारी तंत्र की अनदेखी और लापरवाही को भी उजागर करता है।
जिम्मेदार विभागों की चुप्पी
नेशनल हाइवे जैसे व्यस्त और तेज रफ्तार मार्ग पर इस तरह की लापरवाही दर्शाती है कि यातायात विभाग, स्कूल प्रबंधन और परिवहन विभाग अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं। हालांकि यातायात पुलिस कभी-कभी इस मार्ग पर वाहनों की जांच करती है, मगर लगातार निगरानी का अभाव ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देता है। हाइवे पेट्रोलिंग टीम, जो 24×7 गश्त के लिए तैनात रहती है, उस समय कहां थी, ये एक बड़ा सवाल है।
स्कूली बच्चों की सुरक्षा से समझौता?
स्कूली बच्चों को इस तरह मालवाहक वाहन पर बैठाकर ले जाना किसी भी सूरत में उचित नहीं कहा जा सकता। न बच्चों को सीटबेल्ट थी, न कोई सुरक्षा इंतजाम। ज़रा सी चूक बच्चों की जान पर भारी पड़ सकती थी। यह केवल ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ है।
क्या अब जागेगा यातायात विभाग?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यातायात विभाग इस वीडियो को संज्ञान में लेगा और मामले की निष्पक्ष जांच कराएगा? या फिर यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह नजरअंदाज कर दिया जाएगा? बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा यह विषय अत्यंत गंभीर है, जिसे सिर्फ कागजी कार्रवाई से नहीं निपटाया जा सकता। यदि जिम्मेदार विभाग अब भी नहीं जागे, तो ऐसे ही खतरनाक नजारे दोहराए जाते रहेंगे और इसकी कीमत बच्चों की जान से चुकानी पड़ सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता दिखाता है।