
बलरामपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग की नीतियों के खिलाफ शिक्षक समुदाय का विरोध अब एक नए रूप में सामने आ रहा है। “शिक्षक साझा मंच” के बैनर तले प्रदेशभर के शिक्षक 16 जून से 30 जून तक काली पट्टी बांधकर स्कूलों में काम कर रहे हैं, जिससे सरकार की नीतियों के प्रति अपना विरोध दर्ज करा सकें। यह विरोध प्रदर्शन बिना शिक्षण कार्य बाधित किए सांकेतिक रूप से जारी है।
बलरामपुर जिले के शिक्षक साझा मंच के जिला संचालक पवन सिंह ने बताया कि मंच के प्रदेश संचालक संजय शर्मा समेत प्रदेश के 23 शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों के मार्गदर्शन में यह अभियान पूरे राज्य में चलाया जा रहा है। शिक्षक स्कूलों में समय पर पहुंचकर पढ़ाई करा रहे हैं, साथ ही प्रवेश उत्सव, गणवेश और किताब वितरण जैसे कार्यों में भी भागीदारी निभा रहे हैं, लेकिन हाथ पर काली पट्टी बांधकर वे सरकार की नीतियों का प्रतिरोध जता रहे हैं।

मुख्य मांगें क्या हैं?
शिक्षक साझा मंच की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:–
– युक्तियुक्तकरण नीति को तत्काल रद्द किया जाए।
– वर्ष 2008 का सेटअप पुनः लागू किया जाए।
– सोना साहू मामले की तर्ज पर समस्त शिक्षकों को एरियर्स सहित क्रमोन्नत वेतनमान दिया जाए।
– प्रथम नियुक्ति दिनांक से सेवावधि की गणना कर पुरानी पेंशन योजना सहित अन्य लाभ प्रदान किए जाएं।
– पदोन्नति में बीएड की अनिवार्यता समाप्त की जाए।
शिक्षकों का कहना है कि प्रदेश में स्कूल मर्जर और युक्तियुक्तकरण के नाम पर शिक्षकों की संख्या लगातार कम की जा रही है। इससे एक ओर जहाँ प्रधान पाठक जैसे पद समाप्त हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्राथमिक शालाओं में मात्र दो शिक्षक और मिडिल स्कूलों में तीन से चार शिक्षक ही रह गए हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ेगा।
गांव-गांव पहुंचेगी आवाज
शिक्षक अब आंदोलन को जनसमर्थन देने के लिए गांव-गांव तक ले जाने की योजना पर काम कर रहे हैं। प्रवेश उत्सव के दौरान वे गांव के जनप्रतिनिधियों, पालक समिति और स्कूल प्रबंधन समिति को सरकार की शिक्षक विरोधी नीतियों की जानकारी देंगे।
प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने बताया, “हम आंदोलन भी करेंगे और बच्चों की पढ़ाई भी नहीं रुकने देंगे। शिक्षा को बाधित किए बिना हमारी लड़ाई जारी है। हम चाहते हैं कि सरकार शिक्षकों की समस्याओं को गंभीरता से ले और तत्काल सकारात्मक निर्णय ले।”
आंदोलन की रणनीति बदली, लेकिन उद्देश्य वही
शिक्षक साझा मंच का यह विरोध प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि अब शिक्षक केवल सड़कों पर उतरने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि स्कूल के भीतर रहकर, काम करते हुए, विचारपूर्वक और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात सरकार तक पहुँचा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के हर जिले, विकासखंड और संकुल स्तर पर यह सांकेतिक आंदोलन पूरे जून महीने जारी रहेगा। शिक्षक समुदाय की यह एकजुटता सरकार के लिए एक साफ संदेश है कि शिक्षा और शिक्षकों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय अब चुपचाप नहीं सहा जाएगा।