Success Story: 12 घंटे अस्पताल में ड्यूटी, कड़ी मेहनत, इस विचार से किया आईएएस बनने का फैसला, UPSC में हासिल की 79वीं रैंक, बनीं अधिकारी

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IAS Success Story, Success Story, IAS Success : डॉ. अंजलि गर्ग की IAS सफलता की कहानी एक प्रेरणादायक मिसाल है, जो कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर असंभव को भी संभव बना देती है। 79वीं रैंक प्राप्त करने वाली डॉ. गर्ग एक डॉक्टर होते हुए भी यूपीएससी की कठिन यात्रा को पार कर आईएएस अधिकारी बनीं है। यह कहानी न केवल उनके संघर्ष और सफलता की है बल्कि यह भी दिखाती है कि जब आत्म-विश्वास और समर्पण की बात आती है, तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता।

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कठिनाईयों को आत्मविश्वास का हिस्सा बनाया

14 सितंबर 1996 को चंडीगढ़ में जन्मी डॉ. अंजलि गर्ग का बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना था। उनके परिवार में व्यवसायी पृष्ठभूमि होने के बावजूद अंजलि ने अपने लक्ष्य को खुद हासिल करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी कठिनाईयों को अपने आत्मविश्वास का हिस्सा बनाया और मेहनत की राह पर चलते रहे। अपनी कड़ी मेहनत और लगन के कारण, अंजलि ने NEET परीक्षा में सफलता प्राप्त की और दिल्ली के VMMC और सफ़दरजंग अस्पताल से MBBS किया।

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का निर्णय लेने पर मजबूर

डॉ. गर्ग की पहली बड़ी उपलब्धि डॉक्टर बनना था लेकिन उनकी यात्रा यहीं खत्म नहीं हुई। चंडीगढ़ में अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान अंजलि ने शानदार प्रदर्शन किया और 12वीं कक्षा में 96% अंक प्राप्त किए। MBBS के तीसरे साल के दौरान उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में सुविधाओं की कमी को महसूस किया और समाज में व्यापक बदलाव लाने की इच्छा महसूस की। इस भावना ने उन्हें मेडिकल मास्टर डिग्री की योजना को छोड़कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का निर्णय लेने पर मजबूर किया।

पहले प्रयास में असफलता का सामना

सिविल सेवा में जाने का निर्णय आसान नहीं था। मेडिकल पृष्ठभूमि के कारण अंजलि को सिविल सेवा के सिलेबस को समझने में कठिनाई हुई। इसके अलावा कोविड-19 महामारी के दौरान उनके पहले प्रयास में असफलता का सामना करना पड़ा। लेकिन अंजलि ने हार मानने के बजाय अपनी रणनीतियों को सुधारते हुए अपनी मेहनत को दोगुना कर दिया।

2022 में, उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण रंग लाए और उन्होंने सफलतापूर्वक यूपीएससी परीक्षा पास की। अंजलि ने यूपीएससी परीक्षा में 79वीं रैंक प्राप्त की और IAS अधिकारी बनीं। परीक्षा की तैयारी के दौरान, अंजलि ने अपनी मेडिकल इंटर्नशिप को भी जारी रखा। 12 घंटे की शिफ्ट्स के बावजूद, उन्होंने अपनी पढ़ाई और काम के बीच संतुलन बनाए रखा।

डॉ. अंजलि गर्ग की यह यात्रा सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी कहानी यह सिखाती है कि किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और आत्म-विश्वास की आवश्यकता होती है। चाहे सपने कितने भी बड़े हों, अगर हम मेहनत और ईमानदारी से प्रयास करें, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। उनकी कहानी यह दिखाती है कि असंभव को संभव बनाने का रास्ता खुद ही तय करना पड़ता है और कठिनाइयों से गुजरते हुए भी अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहना होता है।