Astrology, Pitru Paksh 2024, Pitra Dosh, Pitra Dosh Upay : पौराणिक मान्यता के अनुसार पितरों का स्थान भगवान के समान माना जाता है। यह मान्यता है कि यदि आपके पितर आपसे नाराज होते हैं, तो यह आपके जीवन के कई क्षेत्रों में विघ्न उत्पन्न कर सकता है। इस बार पितृ पक्ष का आरम्भ 17 सितम्बर 2024 से होने जा रहा है।
हालांकि वास्तविक पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, तर्पण और दान जैसे अनुष्ठान 18 सितम्बर 2024 से प्रारम्भ होंगे। पितृ पक्ष की समाप्ति 2 अक्टूबर 2024 को होगी। इस दौरान अगर आप पितृदोष से पीड़ित हैं तो कुछ संकेतों के माध्यम से आप इसकी पहचान कर सकते हैं और विशेष उपाय करके इस दोष को शांत कर सकते हैं।
पितृदोष के संकेत
वंश आगे बढ़ाने में बाधाएँ: पितृदोष होने पर व्यक्ति को संतान उत्पत्ति में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। बार-बार प्रयास करने के बावजूद वंश वृद्धि में विघ्न उत्पन्न होते हैं, जिससे परिवार के विस्तार में बाधा आती है।
घर में पीपल का पौधा उगना: घर में कहीं भी पीपल का पौधा उग आना भी पितृदोष का एक संकेत माना जाता है। पीपल का पौधा अक्सर घर की दरारों या छत पर उग आता है, जो घर में नकारात्मकता और अशुभता को दर्शाता है।
घर में दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या: यदि घर में लगातार एक के बाद एक दुर्घटनाएँ घटित हो रही हैं, तो यह भी पितृदोष का संकेत हो सकता है। इसके लिए आपको विशेष उपाय करने की आवश्यकता है।
व्यापार या नौकरी में संकट: जब मेहनत करने के बावजूद आपके व्यवसाय या नौकरी में तरक्की नहीं हो रही या बार-बार संकट उत्पन्न हो रहे हैं, तो यह भी पितृदोष का संकेत हो सकता है।
मांगलिक कार्यों में बाधाएँ: यदि आपके घर में कोई मांगलिक कार्य करने की तैयारी के बावजूद बार-बार बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं, तो आपके पितर नाराज हो सकते हैं। यह स्थिति भी पितृदोष की ओर संकेत करती है।
पितृदोष से मुक्ति के उपाय
पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान: पितरों की नाराजगी को दूर करने के लिए पितृ पक्ष के दौरान तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म का आयोजन करें। इससे पितरों की शांति और संतोष प्राप्त होता है।
पितरों को भोजन और जल अर्पित करना: पितरों के नाम से भोजन और जल अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसे विशेष रूप से पितृ पक्ष में करना चाहिए।
पितरों की तस्वीरों का रखरखाव: पितरों की तस्वीरों की सफाई और उन पर फूल माला चढ़ाना भी महत्वपूर्ण है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
पितृ पक्ष में दिया जलाना: दक्षिण दिशा में पितरों के नाम का दिया जलाना चाहिए। यह मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर धरती पर आते हैं, और दिया जलाने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
पूजा-हवन में पितरों की पूजा: किसी भी पूजा-हवन या मांगलिक कार्य में भगवान के साथ पितरों की पूजा भी करनी चाहिए। इससे पितृदोष शांत होता है।
दान और पुण्य: दान और पुण्य कर्म भी पितृदोष को समाप्त करने में सहायक होते हैं। जितना अधिक दान किया जाएगा, उतना ही पितरों की नाराजगी कम होगी।
पितृ पक्ष के दौरान इन विशेष उपायों को अपनाकर आप अपने पितरों की नाराजगी को दूर कर सकते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।