नई दिल्ली। विश्व में लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए सशस्त्र बलों को पूरी तरह तैयार रहने के निर्देष दिए हैं।
उन्होंने कहा कि यूक्रेन और गाजा में चल रहे संघर्षों और बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति का गहराई से विश्लेषण करना बेहद जरूरी है ताकि भारत भविष्य में किसी भी चुनौती का सटीकता से सामना कर सके।
पूर्वी लद्दाख में चीन से सीमा विवाद और क्षेत्रीय चुनौतियाँ
लखनऊ में आयोजित संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों पर रक्षा मंत्री ने खुलकर बात की। रक्षा मंत्री का यह बयान उस समय आया है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद जारी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चीन के साथ लगती भारत की सीमा पर स्थिति और पड़ोसी देशों में हो रही घटनाओं को बारीकी से देखना और समझना आवश्यक है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ये घटनाक्रम न केवल भारत की सुरक्षा के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता और शांति के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों को क्षेत्रीय तनाव और वैश्विक अस्थिरता से उत्पन्न खतरों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए।
‘एकीकृत थिएटर कमान’ और सैन्य सुधारों की चर्चा
सशस्त्र बलों में बदलाव’ विषय पर बोलते हुए, एकीकृत थिएटर कमान को लागू करने की महत्वाकांक्षी योजना पर चर्चा की। इस योजना का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच अधिक समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देना है ताकि रक्षा तैयारियों को और मजबूत किया जा सके। इस योजना के तहत सेना, नौसेना और वायुसेना के संचालन को एकीकृत करने की कोशिश की जा रही है, जिससे किसी भी चुनौती या उकसावे का तेजी से और प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।
आधुनिक तकनीक और युद्ध क्षमता
रक्षा मंत्री ने आधुनिक युद्धक क्षमताओं को विकसित करने पर जोर देते हुए कहा कि सशस्त्र बलों को पारंपरिक हथियारों के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का भी सही मिश्रण तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षेत्र में क्षमताओं को बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि ये आज की दुनिया में युद्ध के नए आयाम बन चुके हैं। इसके अलावा कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना भी जरूरी है जिससे सशस्त्र बलों को भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सके।
शांति के लिए सतर्कता आवश्यक
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है और उसकी प्राथमिकता हमेशा शांति बनाए रखना है। लेकिन इसके लिए सशस्त्र बलों को हर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि हमें क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बावजूद सतर्क रहना चाहिए ताकि शांति भंग करने वाले किसी भी प्रयास का तुरंत और प्रभावी ढंग से जवाब दिया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही भारत वैश्विक अस्थिरता के दौर में अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण तरीके से विकास कर रहा है लेकिन बदलते सुरक्षा समय में हमें किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हर समय तैयार रहना होगा।
आत्मनिर्भर भारत और सैन्य योगदान
राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सशस्त्र बलों के योगदान की सराहना की और कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में सेनाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग से न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सकेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि देश की रक्षा प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित हो।
सम्मेलन का कारण
इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों की समीक्षा करना और भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत बनाने के उपायों पर चर्चा करना था। इसमें प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने भाग लिया। इस दौरान शीर्ष सैन्य नेतृत्व ने मौजूदा चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया और चुनौती से निपटने पर चर्चा की।