दलदल में बदल चुकी सड़क के निर्माण नहीं.. टाइमिंग का विरोध.. पर किसके दबाव में सबने साध ली चुप्पी?

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..प्रदेश की सड़के इन दिनों सुर्खियों में है..और वे सड़के खस्ताहाल होने की वजह से है..लेकिन जिले के कुसमी ब्लाक में एक सड़क ऐसी है..जिसका निर्माण इन दिनों चल रहा है..और वह सड़क  निर्माणाधीन होने की वजह से सुर्खियों में है..निर्माणाधीन सड़क पर आवागमन बंद है..बरसात का सीजन होने और सड़क पर मिट्टी का कार्य किए जाने  की वजह से सड़क मिट्टी के दलदल के रूप में तब्दील हो चुका है..अब बरसात में सड़क निर्माण का काम..उसमे में भी मिट्टी पिचिंग का काम समझ से परे है..और जो जिम्मेदार है..चाहे वे जनप्रतिनिधि हो या फिर अधिकारी सबने चुप्पी साध ली है..जो समझ से परे है!.

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इन दिनों चांदो-सामरी पहुंच मार्ग पर कंठी घाट में 6 किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है..बरसात के समय में सड़क निर्माण का कार्य राहगीरों के लिए पीड़ा दायक साबित हो रहा है..ऐसा इसलिए क्योंकि ठेकेदार द्वारा मिट्टी पिचिंग का काम सड़क में किया जा रहा है..और बारिश होने के बाद वही मिट्टी दलदल के रूप में तब्दील हो जा रहा है..जिससे राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है..राहगीर किसी भी तरह जान जोखिम में डालकर अपने गंतव्य की ओर जाने को मजबूर है..रोजाना इस सड़क से होकर गुजरने वाले राहगीरों की माने तो सड़क निर्माण का काम या तो बरसात के पहले करना था..या फिर बरसात के बाद..लेकिन ठेकेदार ने तो बरसात में ही काम शुरू कर दिया है!.

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दरअसल कंठी घाट पर 25 करोड़ की लागत से घाट की कटाई और 6 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण की स्वीकृति राज्य सरकार  से मिली है..इसमें भी जंगल का इलाका होने की वजह से वन विभाग ने सड़क की चौड़ाई 12 मीटर निर्धारित की है..और इस कार्य के लिए लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी को निर्माण एजेंसी बनाया गया है..वही ठेकेदार ने मनमानी पूर्वक काम तो शुरू कर दिया है..लेकिन वन विभाग की 12 मीटर वाली अनुमति को भी दरकिनार करते हुए ..बेधड़क सड़क के किनारे  नाली निर्माण के नामपर हरे-भरे पेड़ो की बलि चढ़ा दी है..

राहगीरों और ग्रामीणों का कहना है की..सड़क निर्माण से उन्हें कोई दिक्कत परेशानी नही है..लेकिन जो काम अभी की जा रही है..वह बरसात से पहले या बरसात के बाद शुरू की जाती तो उन्हे आने -जाने में दिक्कत नही होती..सामरी से चांदो पहुंच मार्ग पर बसों की आवाजाही भी बंद है..जिसके चलते आधा दर्जन गांवो के ग्रामीणों को पैदल ही 12 से 15 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है!.और जो लोग आवागमन में  दोपहिया का उपयोग करते है..वे अपना जान जोखिम में डालकर इस रास्ते से गुजरते है!

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जिम्मेदारों ने साध ली चुप्पी..

इधर जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी इस सड़क को लेकर चुप्पी साधे हुए है..दबी जुबान से तो सब कहते है..की बरसात में सड़क निर्माण नही करना चाहिए..लेकिन निर्माण काम बंद कराने में सबके पसीने छूट रहे है..ऐसा क्यों है यह तो समझ से परे है..और ऐसा भी हो सकता है..की किसी सफेदपोश का दबाव हो!.

बहरहाल सड़क के निर्माण का विरोध नही हो रहा..निर्माण के समय को लेकर राहगीर और ग्रामीण सरकार और स्थानीय प्रशासन को कोस रहे है.. लाज़मी है..बरसात में मिट्टी का काम हो और बारिश हो तो सड़क दलदल के रूप में तब्दील होगी ही..इसे तकनीकी अधिकारियों को देखना और समझना भी चाहिए..की कुछ दिन रुक कर काम शुरू करवाया जाये..वैसे भी किसी भी निर्माण कार्य के निविदा में वर्षा ऋतु को छोड़कर निर्माण कार्य पूर्ण करने की अवधि दी जाती है..लेकिन जंगल से होकर गुजरने वाली सड़क के निर्माण के लिए वर्षा ऋतु में छूट कैसे मिल गई..यह समझ से परे है!.