चमत्कार या अंधविश्वास? इस शिव मंदिर में जिंदा हो जाता मृत इंसान! महाभारत काल से जुड़ी है कथा

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में यूं तो कई सारे अद्भुत मंदिर है लेकिन ‘लाखामंडल शिव मंदिर’ एक ऐसा अद्भुत मंदिर है जिसकी बेहद खास मानय्ता है। कहा जाता है कि अगर यहां मृत्यु प्राप्त इंसान को अगर इन द्वारपालों के सामने रख दिया जाए तो पुजारी द्वारा अभिमंत्रित जल छिड़कने पर वह जीवित हो जाता था। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवो को मारने के लिए दुर्योधन ने लाक्षागृह का निर्माण किया था।

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के चकराता ब्लॉक में मुख्य शहर से करीब 128 किमी की दूरी पर लाखामण्डल स्थित है। जहां करीब 5 हजार साल पुराना रहस्यमयी अद्भुत मंदिर स्थित है। लाखामण्डल का अर्थ है, लाख-शिवलिंग, यानी लाखामण्डल ऐसा स्थान है जहां लाखों शिवलिंग हैं।

लाखामण्डल में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर केदारनाथ मंदिर की शैली में बनवाया गया था। जिसके गर्भगृह में भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, काल भैरव, कार्तिकेय, सरस्वती मां, गणेश, माँ दुर्गा ,विष्णु और सूर्यदेव और हनुमान की मूर्तियां स्थापित है। बताया जाता है कि इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग द्वापर युग और त्रेता युग के हैं। इस मंदिर से यह मान्यता जुड़ी है कि महाभारत काल मे दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए पुरोचन से लाक्षागृह बनवाया था। पांडव, कौरवों से इस लाक्षागृह षड्यंत्र से बचकर निकल गए थे।

मंदिर में मौजूद शिवलिंग को महामुण्डेश्वर के नाम से जाना जाता है। इससे यह मान्यता जुड़ी है कि मरे हुए व्यक्ति को शिवलिंग के सामने रखने के बाद पुजारी जब अभिमंत्रित जल का छिड़काव करते हैं तो वह इंसान जिंदा हो जाता है। इसके बाद थोड़े वक्त के लिए जिंदा हुआ यह व्यक्ति गंगाजल पीकर भगवान शिव का नाम लेकर फिर मृत अवस्था के लिए चला जाता है।

महामुण्डेश्वर शिवलिंग से यह भी मान्यता जुड़ी है कि जो महिला पुत्ररत्न की प्राप्ति की कामना लिए हुए महाशिवरात्रि की रात को मंदिर के मुख्य द्वार पर बैठकर शिवालय के दीपक को एकाएक निहारते हुए शिवमंत्र का जाप करती है तो उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।

(Disclaimer: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं। फटाफट न्यूज किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है।)