तेंदू पत्ता तोडने गई महिला पर भालू ने किया हमला

  • भालू ने महिलाओं पर किया हमला, एक गंभीर
  • तेंदू पत्ता तोडने गांव के समीप जंगल में गई थी

अम्बिकापुर

उदयपुर के ग्राम खरसुरा से लगे जंगल मे तेंदू पत्ता तोडने गई एक महिला को झाडियों में छुपे एक भालू ने हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। घायल महिला को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भालू ने हमले से पूर्व तेंदू पत्ता तोड़ रही कई महिलाओं को दौड़ाकर काटने का प्रयास किया, लेकिन महिलाओं ने भाग कर अपनी जान बचाई। भालू के इस हमले के बाद अब गांव की महिलाएं तेंदू पत्ता तोडने जाने से भयभीत नजर आ रही है। ज्ञात हो कि गर्मी के इस सीजन में ही तेंदू पत्ता मिलता है जिसे तोडने शासन स्तर पर ग्रामीण महिलाओं को हर सुविधा दी जाती है लेकिन जंगल में जाने वाली महिलाओं को जानवरों से सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किया जाता। जिससे आये दिन महिलाएं भालू व अन्य जानवरों के शिकार होती है। सरगुजा संभाग में हर साल कम से कम एक दर्जन से अधिक लोगों पर भालूओं का कहर टूटता हैै। इसमें कई घायलों की मौत तक हो जाती है।

जानकारी के अनुसार उदयपुर क्षेत्र के ग्राम खरसुरा निवासी सुखमनिया पति चिन्ताराम गोड़ 55 वर्ष मंगलवार की तड़के गांव की लगभग दो दर्जन से अधिक महिलाओं के साथ गांव के समीप खेखरा नरवा जंगल में तेंदू पत्ता तोडने गई हुई थी। महिलाएं जंगल में अलग-अलग होकर तेंदू पत्ता तोड़ रही थी, तभी झाडियों में छुपा एक वयस्क भालू अचानक झाडियों से निकल महिलाओं को काटने  लिए दौड़ाने लगा जिस पर कई महिलांए शोर मचाते हुये भाग निकली, लेकिन जब तक सुखमनिया भाग पाती तक तक भालू ने पीछे से सुखमनिया के सिर में पंजा से वार कर गंभीर रूप घायल कर दिया। सुखमनियां के साथ गई अन्य महिलाओं ने किसी प्रकार हमलावर भालू को खदेड़ घायल को घर लेकर पहुंच। भालू के हमले से लहुलूहान हुई महिला को परिजनों ने तत्काल उपचार के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया, जहां डाक्टरों ने महिला की गंभीर हालत को देखते हुये जिला चिकित्सालय ले जाने की सलाह दी। जहां घायल का उपचार जारी व गंभीर हालत बनी हुई है।

राहत राशि के नाम पर मजाक
भालू के हमला से घायल हुए लोगों को वन विभाग के नियमों के मुताबिक इलाज के लिए सहायता राशि दिए जाने का प्रावधान है। इसके लिए भी पीडितों को वन विभाग के अफसरों का चक्कर लगाना पड़ता है। कुछ लोगों को सहायता राशि के तौर पर महज पांच सौ रूपए थमा कर वन विभाग अपना पल्ला झाड़ लेता है जबकि घायल की इलाज का पूरा खर्च पीड़ित के परिजनों को ही उठाना पडता है। भालूओं के हमले से पीड़ित अगर बच भी जाता है तो उनका चेहरा हमेशा के लिए बर्बाद हो जाता है। क्योंकि भालू सबसे पहले चेहरे पर ही हमला करता है।

एस.बी.पाण्डेय, रेंजर

घटना की जानकारी मिलने के बाद त्वरित सहायता राशि वन रक्षक अरूण सिंह के माध्यम से भालू के हमले में घायल वृद्ध महिला के परिजनों को प्रदान किया गया है। महिला को जिला चिकित्सालय रेफर किया गया है। मैं स्वयं जाकर देखता हूं जैसी जरूरत होगी उनकी मदद् की जायेगी।