HRA Letest News: सरकारी कर्मचारियों को लगा बड़ा झटका, अब इन्हें नहीं मिलेगा HRA का लाभ, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला में क्या कुछ कहा.?

नई दिल्ली. HRA Letest News..सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा हैं। यूं कहें तो सरकारी कर्मचारियों के लिए बुरी ख़बर हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उन सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला हाउस रेंट अलाउंस के लिए अपात्र कर दिया हैं। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा हैं कि, सरकारी कर्मचारी अगर अपने रिटायरमेंट सरकारी कर्मचारी पिता को आवंटित रेंट फ्री सरकारी आवास में रहता हैं, तो वह मकान भत्ता यानि एचआरए का दावा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराया हैं। हाई कोर्ट ने सरकारी आवास में रहते हुए एचआरए लेने पर भेजे गए रिकवरी नोटिस को रद्द करने की मांग ठुकरा दी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में यह फैसला न्यायमूर्ति बीआर गवई और संदीप मेहता की पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली आरके मुंशी की अपील खारिज करते हुए सुनाया हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता मुंशी के पिता को सरकारी आवास आवंटित था। जो कि, जम्मू कश्मीर पुलिस में DSP और विस्थापित कश्मीरी पंडित थे। याचिकाकर्ता उन्हीं के साथ सरकारी आवास में रहता था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्पष्ट हो गया हैं कि, अगर कोई सरकारी कर्मचारी सरकारी नौकरी से सेवानिवृत हुए अपने पिता को आवंटित रेंट फ्री सरकारी आवास में रहता हैं, तो वह एचआरए का हकदार नहीं हो सकता हैं। वह व्यक्ति एचआरए रूल 6 (एच) (4) का सहारा नहीं ले सकता हैं। जो कहता हैं कि, दो या दो से अधिक सरकारी कर्मचारी जैसे पति पत्नी या माता पिता या बच्चे किसी एक को आवंटित सरकारी आवास में साथ-साथ रहते हैं। तो उनमें से किसी एक को ही एचआरए मिल सकता हैं।

इस मामले में जम्मू कश्मीर सिविल सर्विस (एचआरए एंड सिटी कंपनशेसन अलाउंस) रूल 1992 के दो उपबंधों रूल 6 (एच) (1) और (2) तथा रूल 6 (एच) (4) का मुद्दा शामिल था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, आवास अपीलकर्ता के पिता को आवंटित था और वह 1993 में सेवानिवृत हो गए। ऐसे में यह स्वतः सिद्ध हैं कि, पद से हटने के बाद वह एएचआरए का दावा करने के पात्र नहीं हैं। पीठ ने कहा कि, यह बात सही हैं कि, उसके पिता को विस्थापित कश्मीरी पंडित और सेवानिवृत सरकारी कर्मचारी के तौर पर आवास आवंटित हुआ था। लेकिन, वास्तविकता वही हैं कि, सेवानिवृति के बाद वह एचआरए का दावा नहीं कर सकते। हाई कोर्ट के आदेश में कोई खामी नहीं है।

जानिए क्या था पूरा मामला –

बता दें कि, इस मामले में याचिकाकर्ता आरके मुंशी जम्मू कश्मीर पुलिस में इंस्पेक्टर टेलीकॉम था। वे 30 अप्रैल 2014 को रिटायरमेंट हो गया हैं। उसे विभाग से हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance) रिकवरी का एक नोटिस आया हैं। जिसमें कहा गया कि, उसने अवैध रूप से एचआरए ले लिया हैं, जिसे वह वापस लौटाए। उस पर नियम 6 (एच) के तहत् कार्रवाई हुई थी। जिसमें कहा गया था कि, सरकारी आवास में रहते हुए उसे एचआरए लिया हैं। अपीलकर्ता को 396814 रूपए जमा कराने का नोटिस भेजा गया था। उसने रिकवरी नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन, हाई कोर्ट याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट आया था।

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