युवा प्रतिभाओं को तलाशने और खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने गांव-गांव में मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया है। जहां बच्चे, जवान, बुजुर्ग सुबह-शाम टहलने और खेलने के लिए पहुंचते है। लेकिन जिम्मेदारों के देख-रेख के अभाव में सूरजपुर जिले के ग्राम रामनगर का मिनी स्टेडियम असामाजिक तत्वों का अड्डा बनते जा रहा है। इस मसले को लेकर स्टेडियम के आसपास रहने वाले जिम्मेदार नागरिकों से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि कई बार शराबखोरी करने वालों को समझाइश दिया जाता है लेकिन वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आते। इसी का नतीजा है कि गांव के एकमात्र स्टेडियम में शराब की बोतलें आसानी से देखने को मिल जाएंगी।
बता दें कि, शुक्रवार से रामनगर हाई स्कूल ग्राउंड में स्थित मिनी स्टेडियम में राजीव युवा मितान क्लब द्वारा जोन स्तरीय खेल का आयोजन किया जाना है। इसमें पंचायत स्तर पर चयनित खिलाड़ी गिल्ली डंडा, कंचा, गेड़ी दौड़, पिट्ठूल, कबड्डी, लंबी कूद जैसे खेल खेलेंगे। वहीं जोन स्तरीय आयोजन होने से स्टेडियम में 8 क्लब के खिलाड़ी शामिल होंगे, मतलब 8 गांव के युवक-युवती खिलाड़ी रामनगर के स्टेडियम में अपने खेल कौशल का प्रदर्शन करेंगे। लेकिन दुर्भाग्य कि रामनगर का स्टेडियम बेहतर सुविधाओं का रोना रो रहा है। स्टेडियम के दोनों दरवाजे गायब है। पानी की सुविधा के लिए बोर कराया गया था उसका मोटर भी गायब है। शौचालय में साफ-सफाई नहीं है। लाइट भी खराब हो गया है। इसके अलावा स्टेडियम के छत में रेलिंग लगाया गया है उसे भी बदमाश प्रवृत्ति के लोगों ने तोड़ दिया है।
ऐसे में कल रामनगर गांव के मिनी स्टेडियम में जोन स्तरीय खेल का आयोजन किया जाएगा। तो खिलाड़ियों को पानी और नित्य कर्म के लिए परेशान होना पड़ सकता है। ग्राम पंचायत द्वारा स्टेडियम के साफ-सफाई और यहां चलने वाली गतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया जाता। इसी का नतीजा है कि मिनी स्टेडियम की संपत्तियों को लगातार नुकसान हो रहा है। कई महीनों पहले स्टेडियम में नशाखोरी करने वालों की संख्या में इजाफा हो गया था, तब बिश्रामपुर पुलिस सहित तत्कालीन एएसपी से इसकी मौखिक शिकायत की गई थी। तब पुलिस ने कहां था कि पहले रात में सेंट्रल बैंक तक गश्त टीम जाती थी, लेकिन अब स्टेडियम तक जाएगी। अब पुलिस गश्त करने आती थी या नहीं? ये नहीं पता, क्योंकि हालात तो अब भी वहीं हैं। पहले जैसे रात 10-12 बजे तक स्टेडियम में हुल्लड़बाजी होती है।
पंचायतों में स्टेडियम भी गांव की पहचान होती है। कोई व्यक्ति अगर पूछता है कि रामनगर में हाई स्कूल, मिडिल स्कूल कहां है? तो ज्यादातर लोगों का जवाब होता है कि स्टेडियम के पास। अब जिस स्टेडियम की वजह से गांव की एक अलग पहचान भी बन गई है। उस स्टेडियम को सुव्यवस्थित रखना जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है, लेकिन यहां तो भगवान भरोसे है। ऐसे में जब कल 8 गांव के खिलाड़ी स्टेडियम में खेलने आएंगे और यहां के स्टेडियम में गंदगी और अव्यवस्थाओं को देखकर क्या कहेंगे? इस गांव के प्रति खिलाड़ियों के मन में कैसा संदेश जाएगा।