Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में बरसात के दिनों में भी पेयजल पानी की समस्या मंडरा रही हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि, कार्यालय नगर पालिक निगम अंबिकापुर के द्वारा एक सूचना जारी किया गया हैं। सूचना में कहा गया हैं कि, वर्तमान में वर्षाऋतु में वर्षा कम होने के चलते बांकी जलाशय में पानी का जलस्तर बहुत ही कम हो गया हैं। जिस कारण बांकी जलाशय स्त्रोत पर आधारित तकिया जलशोधन संयंत्र के माध्यम से निकाय के विभिन्न वार्डो में दोनों पालियों में ज़रूरत के अनुसार पेयजल आपूर्ति कर पाना संभव नहीं हैं। जिसे ध्यान में रखते हुए पर्याप्त वर्षा होने तक निकाय के सभी जलागारों (पानी टंकियों) 23 जुलाई से केवल एक पाली में सुबह के समय ही पेयजल आपूर्ति किया जाएगा। अतः जल आपूर्ति में होने वाली असुविधा के लिए खेद हैं।
बता दें कि, अल्प वर्षा के चलते नगर निगम के इतिहास में पिछले 51 वर्षों में पहली बार बांकी जलाशय में महज तीन प्रतिशत जल भराव के साथ पुराने शहर के 28 वार्डों में पानी की समस्या बहुत ही ज्यादा हो गई हैं। शहर में बांकी जलाशय से हर रोज एक करोड़ 70 लाख लीटर पानी की मांग हैं। पर वर्तमान समय में जलाशय में मात्र 29 दिन के हिसाब से लगभग 50 करोड़ लीटर पानी मात्र बचा हैं।
ऐसी स्थिति में निगम प्रशासन के द्वारा बांकी जलाशय से अम्बिकापुर में आज यानी की रविवार 23 जुलाई से सुबह की पाली में ही एक समय पानी सप्लाई करने की योजना बनाई गई हैं। बताया जा रहा हैं कि, अब 29 दिन के पानी से एक पाली में वितरण करते हुए 58 से 60 दिन को कवर करने की योजना हैं।
नगर निगम का कहना हैं कि, जब तक बांकी जलाशय में आवश्यकता के अनुरूप जल भराव नहीं हो जाएगा। तब तक दोनों पालियों में पानी सप्लाई कर पाना संभव नहीं हैं। इसलिए केवल सुबह ही पानी सप्लाई की जाएगी। बांकी जलाशय से शहर में तकरीबन 54 फ़ीसदी इलाके को जलापूर्ति की जा रही हैं। जबकि अमृत मिशन योजना के तहत घुनघुट्टा बांध से 46 प्रतिशत इलाके में पानी सप्लाई हो रही हैं। नगर निगम द्वारा एक पाली की पानी की कटौती किए जाने से 54 फ़ीसदी इलाके में प्रभावित होगी।
बांकी जलाशय की वर्षों पुरानी पाइप लाइन होने के चलते राइजिंग पाइप में लीकेज की समस्या भी आए दिन बनने से पानी बर्बाद होने की भी स्थिति बनी। बांकी में कम जल भराव होने के बावजूद लोग पाइप से खेतों की सिंचाई के लिए भी पानी ले जा रहे हैं। इधर, पाइप लाइन के क्षतिग्रस्त होने से नाला से पानी सीधे फिल्टर प्लांट भेजा जा रहा हैं।
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