कांकेर. एक अधिकारी ने अपने लाख रुपये के मोबाइल को जलाशय के स्पिलवे में बने टैंक से निकलने के लिए लाखो लीटर पानी खाली कर डाला। पानी की यह बर्बादी की कहानी देश में सुर्खियां बनी रही लेकिन जिस जगह से यह पानी खाली किया गया वहाँ से 1 किलोमीटर दूर आज भी लोग पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे। कांकेर जिले के परलकोट जलाशय में पिकनिक मनाने गए एक फूड इंस्पेक्टर का मोबाइल जलाशय के स्पिलवे में बने टैंक में गिर गया। फिर क्या था अधिकारी ने उस एक लाख रुपये के मोबाइल को निकालने डीजल, पम्प लगाकर पानी बाहर निकलना शुरू किया। 3 से 4 दिन लगातार पानी व्यर्थ बाहर निकालने के बाद अधिकारी का मोबाइल बंद हालात में मिला।
गर्मी के दिन में जहाँ लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरसते है वही 41 लाख लीटर पानी व्यर्थ कर दिया गया। मामले में फूड इंस्पेक्टर तो सस्पेंड हो गया,पर इस जलाशय से कुछ दूरी पर पानी के लिए जद्दोजहद की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो आपको सन्न कर के रख देगी। जिस जगह पर फूड इंस्पेक्टर साहब ने अपना महँगा मोबाइल फोन पाने की चाह में 41 लाख लीटर पानी व्यर्थ बर्बाद किया वहां से महज 1 किलोमीटर दूर बसे गांव बोगान भोड़िया के ग्रामीण झरिया के गंदे पानी से अपनी प्यास बुझा रहे है।
कोयलीबेड़ा ब्लॉक के बोगानभोड़िया गांव में लगभग 20 से 25 परिवार निवास करते हैं। जिनकी संख्या लगभग 80 से 90 के आसपास होगी। गांव में एकमात्र नाल था जो बीते 4 महीने से खराब है। ग्रामीणों ने सरपंच के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों को भी अवगत कराया पर सुधार नहीं हुआ। जिनके लिए मजबूरन झरिया का गन्दा पानी एक सहारा बना। सभी ग्रामीण सुबह अपने घरों से बर्तन लेकर कुछ दूरी पर स्थित झरिया में पानी लेने पहुंचते है। वह इस गंदे पानी का उपयोग अपने दैनिक दिनचर्या में लाते है। जिस गंदे पानी मे मेढ़क- मछली तैर रहे हो पानी से बदबू आ रही हो। जिससे आप मुह भी धोना पसंद नहीं करेंगे। उसे यह पीकर अपनी प्यास बुझाते है।
आसपास की गंदगी बताती है कि, यह किसी बीमारी के गढ़ से कम नहीं। ग्रामीण बताते है कि पानी को पीकर बड़े और बच्चे बीमार पड़ रहे है। पर इनकी सुनने वाला कोई नहीं
अब सवाल यहाँ यह उठता है कि, अंदरूनी इलाको में कार्यरत कर्मचारी किस तरह लापरवाही कर लोगो को योजनाओं का लाभ पहुँचा रहे है, जिन्हें पीने के लिए साफ पानी भी नसीब नहीं हो रहा है और एक अधिकारी अपने अफसरशाही रुतबा दिखाते हुए महंगे फोन के लिए लाखों लीटर पानी बर्बाद कर देता है। ग्रामीणों की यह तस्वीर शासन की नाकामी को दर्शाती है। अब देखना होगा कि पानी बर्बाद करने वाले पर तो कार्यवाही हो गई पर क्या इन बेबस ग्रामीणों को साफ पानी मिल पायेगा?