सूरजपुर.. जिले में दूरस्थ अंचल क्षेत्र के छात्रों को सुविधा मुहैया कराने के लिए राज्य शासन जहां एक ओर प्रयासरत हैं, और कई छात्रावासों का निर्माण भी विभागीय निर्माण एजेंसियों के माध्यम से करा रही हैं। तो वही सम्बंधित विभागीय आधिकारी शासन के मंसूबों पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी की जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो किसान बेचारा क्या करे। ऐसा ही एक मामला आर ई एस विभाग का सामने आया हैं। जहां अधिकारियों की अनदेखी के कारण निर्माण कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता नजर आ रहा हैं।
आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि, जो भवन का निर्माण कराया जा रहा हैं। उसमें जिस गुणवत्ता की बात निर्माण कार्य से पूर्व की जाती हैं। उस गुणवत्ता का कितना ध्यान रखा जा रहा हैं। जगह-जगह से सरिया अपने आप ही बाहर झांक रही हैं, और जो दीवार चुनाई के लिए मटेरियल का उपयोग किया जा रहा हैं। वह भी मानक के अनरूप नहीं हैं। देखने से ऐसा लग रहा हैं कि, यह भवन बनने के साथ ही जर्जर स्थिति में पहुंच चुका हैं। पर लाख कमियों के बावजूद अधिकारी अपनी आंख मुंदे ठेकेदार के मनमर्जी अनुसार काम को होने दे रहे हैं।
बता दें कि, सूरजपुर जिला अंतर्गत दूरस्थ क्षेत्र छतरंग में बन रहें छात्रावास को आर ई एस विभाग के आला तकनीकी अधिकारियों की देख रेख में ठेकेदार द्वारा करोड़ो की लागत के छात्रावास का निर्माण किया जा रहा हैं। वही विभागीय अनदेखी के कारण तय मानको का ध्यान नहीं रखा जा रहा हैं। वहीं मीडिया द्वारा विभागीय अधिकारी से जब इस संबंध में जानकारी चाही गई तो सम्बंधित विभागीय आधिकारी जानकारी ना होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ते नजर आए। वही दूसरी ओर नवनियुक्त कलेक्टर संजय अग्रवाल ने समीक्षा करा कर निर्माण कार्य में सुधार कराने की बात कही। तमाम दावों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि, गुणवत्ता को दरकिनार कर जो भवन देश के भविष्य गढ़ने वाले बच्चों को आश्रय देने के लिए बनाया जा रहा हैं। वह छात्रावास क्या इसके नीचे रह कर भविष्य गढ़ने का सपना सँजोये नौनिहालों के लिए भविष्य में कितना सुरक्षित होगा।