उत्तरकाशी. उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में शराबबंदी को लेकर महिलाएं अक्सर सड़कों पर उतर जाती हैं। यह महिलाओं की आवाज का ही असर है कि कई जगहों पर आंदोलन की वजह से ही शराब की दुकानों को बंद करना पड़ा है। शराब भले ही सरकार को करोड़ों का राजस्व देती है लेकिन इसने कई घरों को तबाह भी किया है। अब उत्तरकाशी के धौंतरी गाजणा क्षेत्र में ग्राम पंचायत सिरी में एक ऐसा फैसला हुआ है, जिसकी हर ओर तारीफ हो रही है। क्षेत्र पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांवों में होने वाले विवाह समारोह में शराब का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। नियम न मानने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
ग्राम प्रधान जीतम रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में महिला मंगल दल, युवक मंगल दल और सभी वार्ड सदस्यों ने शादियों में शराबबंदी का प्रस्ताव पारित किया। बैठक में एक नियम बनाया गया है कि अगर कोई व्यक्ति या परिवार विवाह व अन्य समारोह में शराब पिलाते हुए पाया जाता है, तो उसे 51 हजार रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा।
इसके अलावा परिवार के समारोह में गांव का कोई भी व्यक्ति शिरकत भी नहीं करेगा। शराब पर प्रतिबंध का नियम ग्राम पंचायत सिर, राजस्व गांव ढुंग, कोनगढ़, वाल्या धौन्तरी में होगा। ग्राम प्रधान जीतम रावत ने बताया कि इस निर्णय से ग्रामीण काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि शराब की वजह से कई समारोह में लड़ाई झगड़ा भी हुआ है और इससे माहौल खराब होता है, लिहाजा इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।
बता दें कि इसी साल जनवरी में पिथौरागढ़ के चीन सीमा के नजदीक रहने वाले रं समुदाय ने भी अपनी सभ्यता को बचाए रखने के लिए एक अनोखी परम्परा शुरू की थी, जिससे विवाह समारोह में अमीरी और गरीबी का भेद ही हट गया। रं समाज ने शादियों के लिए कुछ अहम नियम बनाए, जिसमें दूल्हे की तरफ से मात्र एक रुपया शगुन दुल्हन को देने पर सहमति जताई गई। साथ ही मिठाइयों की जगह टॉफी से मुंह मीठा कराए जाने की परंपरा शुरू की गई।
साथ ही मांगलिक कार्यों में शराब का सेवन भी पूरी तरह से वर्जित कर दिया गया है। वहीं पारंपरिक कार्यक्रमों में डीजे या माइक पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन नियमों को न मानने पर 55 हजार रुपये का जुर्माना भी वसूलने का नियम रं समाज द्वारा बनाया गया है।