प्रशिक्षण के बाद विजय के हाथों को लगे हुनर के पंख, अपनाया स्वरोजगार

धमतरी

एक छोटे से प्रशिक्षण ने श्री विजय कुमार बंसोड़ की जिंदगी ही बदल डाली। घरों में पोताई करके बमुश्किल डेढ़-दो सौ रूपए कमाकर परिवार चलाने वाले श्री विजय ने स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भरता पा ली है। dmt 2उन्होंने बाकायदा मोबाइल मरम्मत की दुकान खोलकर न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर ली, बल्कि दूसरे युवकों को रिपेयरिंग का प्रशिक्षण देकर उन्हें भी हुनरमंद बनाने कमर कस ली है।
मन में यदि कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति बलवती होती है तो सारी बाधाएं छोटी लगने लगती हैं। स्थानीय विंध्यवासिनी वार्ड निवासी श्री रविन्द्र बंसोड़ पिछले कई सालों से दिहाड़ी मजदूर के तौर पर घरों की पोताई का काम करके रोजी-रोटी चला रहे हैं। उनका छोटा बेटा श्री विजय कुमार बारहवीं उत्तीर्ण होने के बाद उनके इस काम में हाथ बंटाते। एक दिन अखबार के माध्यम से श्री विजय को देना आरसेटी में मोबाइल रिपेयरिंग के निःशुल्क प्रशिक्षण की जानकारी मिली। उत्सकुतावश उन्होंने फॉर्म भरा और प्रशिक्षण के लिए उनका चयन हो गया। माह भर के गहन प्रशिक्षण के बाद अपने हुनर को अंजाम देने के लिए खुद की दुकान डालने की सोची। उनके पिता को यह बात जंच गई और कुछ जमा पूंजी तथा कुछ राशि ऋण पर लेकर मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान कारगिल गार्डन के सामने खोल ली। चूंकि विजय का काम अच्छा होने के कारण इसका बेहतर प्रतिसाद मिलना शुरू हुआ और व्यवसाय चल पड़ा। आज उनकी दुकान बेहतर आय का जरिया बन चुकी है, जिससे प्रतिमाह दस से बारह हजार रूपए तक की कमाई हो जाती है। इतना ही नहीं, उन्होंने इच्छुक युवकों को मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण भी देना शुरू किया, जिससे वे भी हुनरमंद होकर स्वरोजगार अपना सकें। 28 वर्षीय श्री विजय बंसोड़ बताते हैं- ‘आज से छह माह पहले रोजी-रोटी के जुगाड़ के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती थी। शासन द्वारा मुहैय्या कराया गया एक प्रशिक्षण ने उनकी जिंदगी के मायने बदल दिए। शासन आमजनता के हितों के संरक्षण के प्रति संजीदा है।‘ दिहाड़ी और ठेका मजदूर के तौर पर काम करने वाले श्री विजय स्वरोजगार अपनाकर न सिर्फ आत्मनिर्भर हो चुके हैं, अपितु ऐसे युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं जो स्वयं को स्थापित कर कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति रखते हैं।