Balod News: पुलिस थाना वो जगह होती है जहां लोग अपनी समस्या अपनी फरियाद लेकर पँहुचते हैं, लेकिन बालोद जिले का एक पुलिस थाना ऐसा है। जहां लोग इसे देखने मनोरंजन करने जाते हैं।
तस्वीरों में ये आप देख पा रहे होंगे कि ये किसी गार्डन रेस्टोरेंट जैसा लग रहा हैं, लेकिन आपको बता दे कि ये गार्डन रेस्ट्रोरेंट नही है, बल्कि ये एक पुलिस थाना हैं। छत्तीसगढ़ में बालोद जिले के अति संवेदनशील क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले थाना मंगचुवा वनांचल व राजनांदगांव जिले की सीमा क्षेत्र से लगा हुआ है। इस थाने में 32 गांव पड़ता जो पूरी तरह ग्रामीण परिवेश है। जहां के लोग पहले थाना आने से हिचकते थे, लेकिन जब से उप निरीक्षक दिलीप नाग ने थाना प्रभारी की कमान संभाल कर थाना का स्वरूप बदलने का काम किया। तब से लोगों का नजरिया ही बदल गया और लोग अपनी शिकायत फरियाद के साथ यहां सैर सपाटे करने पहुँचते है। उप निरीक्षक दिलीप नाग की कार्यशैली को देख ग्रामीण सराहना कर रहे हैं, तो वहीं पुलिस अधीक्षक भी उसके इस कार्य को देख उनकी प्रशंसा करने से अपने आपको रोक नहीं पा रहे।
दरअसल, जिस जगह पर आप रंग बिरंगे फूल और पौधे, हरी-भरी घास, गार्डन में फौव्वारे और साउंड सिस्टम से लैस लॉरी को देख रहे है। वहाँ दिसम्बर 2019 से पहले शमशान घाट हुआ करता था और इस जगह पर एक नवनिर्मित थाना भवन बस था। इसी दौरान उप निरीक्षक दिलीप नाग ने थाना प्रभारी मंगचुवा की कमान संभाली। जिसके बाद पुराने थाने में संचालित थाने की कामकाज को इसी थाना भवन में शिफ्ट कर दिया।
थाना और परिसर को कुछ अलग बनाने का फैसला ले, इस दिशा में काम शुरू किया गया। अब इस थाने में निरीक्षक दिलीप नाग के अथक प्रयास स्टॉफ की मदद और ग्रामीणों की सहयोग से गार्डन है। जहां रंगबिरंगे फूल, आकर्षक पौधे के साथ आम, जाम, जामुन, आंवला, चीकू, सहित छायादार पौधे, तालाब और तालाब में तैरते बतख तालाब के अलावा तालाब में मछली व तालाब किनारे एक शिव मंदिर व तुलसी चौरा भी हैं। जहाँ प्रतिदिन सुबह शाम लोग माथा टेकने पहुंचते हैं।
दिलीप नाग कहते हैं जिस जगह पर भी रहे उसे खूबसूरत रखने का प्रयास करना चाहिए। थाना एक ऐसा जगह होता है, जहां लोग आने पर हिचकते हैं। जिसे दूर कर ग्रामीणों से अच्छे वातावरण में बेहतर संवाद करने का प्रयास किया गया है। कुछ साल रहकर दिलीप नाग ने थाने का स्वरूप बदल दिया। भले ही कुछ सालों में उसका स्थानांतरण कहीं दूसरे थाने में हो जाये, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि वह बालोद जिले के अंतिम छोर में जंगलों से घिरे गांव और आसपास के लोगों के लिए कुछ अच्छा किया है।