सीतापुर (फटाफट न्यूज़)। अनिल उपाध्याय
Ambikapur News:- एच.वी.संस्कार महाविद्यालय रजौटी में वनस्पति शास्त्र विभाग द्वारा जैव विविधता एवं पर्यावरण विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया था।संगोष्ठी का शुभारंभ प्रो मधुर मोहन रंगा पर्यावरण विशेषज्ञ अजमेर राजस्थान के मुख्य आतिथ्य, प्रोफेसर डॉ एच.डी.महार प्राध्यापक वनस्पति शास्त्र राजीव गांधी पीजी कॉलेज अंबिकापुर की अध्यक्षता एवं डॉ धीरज कुमार यादव,सरगुजा विश्वविद्यालय अंबिकापुर, डॉ राजेश कुमार साहू रसायन शास्त्र सरगुजा विश्वविद्यालय अंबिकापुर, डॉ रोहित कुमार बारगाह के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जैव विविधता एवं पर्यावरण पर शोध की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने देश एवं विदेश में पर्यावरण नियमों पर आधारित वन्य जीव, सामाजिक वानिकी एवं ग्रामीण जनजीवन पर आधार शोध प्रस्तुति करते हुवे अपना विचार प्रस्तुत किया। डॉ एच.डी.महार ने गाजर घास एवं नागदमन रूपी वनस्पति पौधों पर पावर प्वाइंट स्लाइड के माध्यम से ग्राफिकल वातावरण में दिखाया कि पार्थेनियम पौधों का मानव जीवन के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है एवं नागदमन पौधे से निकलने वाली सुगंध से कैसे संपों से अपने आप को बचाया जा सकता है।
डॉ रोहित बरगाह प्राध्यापक रसायन शास्त्र ने पर्यावरण में प्रयुक्त रसायनिक पदार्थों पर चर्चा करते हुए कहा कि पर्यावरण के संतुलन में रसायनिक पदार्थों का विशेष योगदान रहा है। डॉ आर के साहू ने रसायन में पर्यावरण एवं जैव विविधता पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि यदि पर्यावरण स्वच्छ है तो वनस्पतियां एवं जीव जंतुओं का जीवन चक्र संतुलित रहता है।
डॉ धीरज कुमार यादव प्राध्यापक फॉर्म फॉरेस्ट्री ने कहा की पौधों का जीवन चक्र समय अनुसार बदलता रहता है। सरगुजा के मैंनपाट में ऐसे बहुत सारे पौधे हैं जिन पर शोध एवं खेती की आवश्यकता है।
डॉ उमेश कुमार पांडेय सहायक प्राध्यापक कंप्यूटर साइंस ने क्लाउड कंप्यूटिंग एवं वेबसाइट के विभिन्न पहलुओं पर अपना व्याख्यान देते हुये मोबाइल कम्प्यूटरिंग डिवाइस और वायरलेस नेटवर्क की वर्तमान समय में आवश्यकता, सार्थकता एवं मानव जीवन के साथ साथ जैव विविधता पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में डॉ बी.आर.चौहान, डॉ शैलेश देवांगन, गीता चौहान, कंचन साहू, फुलेश्वरी वर्मा के साथ रितिक गुप्ता ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया।कार्यक्रम के दूसरे दिन डॉ ए के श्रीवास्तव बिलासपुर, डॉ राजेश श्रीवास्तव बिलासपुर डॉ दिव्यांशी श्रीवास्तव मुंबई, डॉ पी के सिंह जशपुर का जैव विविधता एवं पर्यावरण पर आमंत्रित व्याख्यान हुआ।
शोध संगोष्ठी में पर्यावरण एवं जैव विविधता पर आधारित कुल 56 शोध पत्र एवं 12 आमंत्रित व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी स्नातकोत्तर कक्षाओं में अध्ययनरत छात्रों ने पर्यावरण एवं जैव विविधता पर अपना लघु शोध प्रबंध के प्रस्तावना का वाचन किया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर डॉ. एस के श्रीवास्तव प्राध्यापक भौतिक शास्त्र ने अपने व्याख्यान में मोबाइल टावर एवं सूक्ष्म तरंगों पर आत्मनिर्भर मानव जीवन एवं उससे पर्यावरण एवं जैव विविधता पर होने वाले प्रभाव पर अपना व्याख्यान पर प्रस्तुत किया है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य श्री रवि प्रधान आयोजक सचिव कुमारी रंजना खेस तथा कार्यक्रम अधिकारी कुमारी बबीता कुशवाहा ने सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरण कर सम्मानित किया गया।