Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। लेकिन इससे पहले 5 दिसंबर को भानुप्रतापपुर विधानसभा के लिए होने वाले उपचुनाव में जीत को लेकर दोनों ही पार्टियों के नेता दम भर रहे है। भानुप्रतापपुर विधानसभा के लिए अभी किसी भी पार्टी ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। लेकिन भाजपा के नए नवेले प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, जहां जा रहे हैं वहां जीत को लेकर आश्वस्त नजर रहे है। इसे उनका कॉन्फिडेंस कहें या ओवरकॉन्फिडेंस यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चल सकेगा। लेकिन वर्तमान में जनचर्चा में जो सवाल तैर रहा है, वह प्रत्याशी चयन को लेकर है। कांग्रेस के गढ़ में कमल खिलेगा या कांग्रेस अपने जीत का सिलसिला बरकार रखेगी। हर कोई इस फैसले के इंतजार में नजर बनाए हुए हैं।
कांकेर जिले का भानुप्रतापपुर इलाका आदिवासी बाहुल्य है, और भाजपा के सामने भानुप्रतापपुर उपचुनाव 2022 में कमल खिलाने की चुनौती है। एक तरफ कांग्रेस खुद को आदिवासी हितैषी बताकर शासन चला रही है। तो वहीं भाजपा आदिवासियों का मुद्दा लेकर लड़ने वाली प्रमुख विपक्षी दल है। ऐसे में मनोज मंडावी के निधन के बाद खाली हुई भानुप्रतापपुर की खाली सीट पर कौन बैठेगा। ये जनता के फैसले और प्रत्याशियों के चयन पर निर्भर करता है। अब दोनों ही पार्टियां किसे टिकट देकर चुनावी मैदान पर उतारती है। इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से अब तक हुए 5 चुनावों में से 3 चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी मनोज मंडावी ने ही जीते थे। उनके निधन के बाद से ये सीट खाली है।
भानुप्रतापपुर उपचुनाव में भाजपा किस सख्स पर विश्वास कर उसे इस चुनावी मैदान में खेलने का मौका देगी। इसको लेकर 8 नाम चर्चा में हैं। इसमें परमानंद तेता, ब्रह्मानंद नेताम, देवलाल दुग्गा, सतीश लाठिया, गौतम उईके, हेमेंद्र ठाकुर और पूर्व मंत्री लता उसेंडी की बहन किरण नरेटी और रूक्मणी उइके शामिल है। इनपर भाजपा ने शीर्ष नेताओं की नजर है। भाजपा की ओर से जल्द ही इनमें से एक नाम के ऐलान होने की संभावना है। बता दें कि, इस बार के चुनाव में एक नाम सबसे तेज उभरकर सामने आया है, जो परमानंद तेता है। ये भानुप्रतापपुर की राजनीति में पिछले कुछ सालों से सक्रिय हैं। तेता एनएमडीसी में इंजीनियर रह चुके है। साफ और शिक्षित छवि की वजह से उनका नाम दावेदारों की लिस्ट में सबसे ऊपर है।
परमानंद तेता के बाद दूसरा नाम ब्रह्मानंद नेताम है। नेताम साल 2008 में भानुप्रतापपुर इलाके से विधायक रह चुके है और मनोज मंडावी को एक बार हरा चुके है। आदिवासी संगठनों में इनकी अच्छी पैठ मानी जाती है, और वैसे भी अभी भाजपा आदिवासियों के आरक्षण के मुद्दे को लेकर लगातार सरकार पर हमला बोल रही है। आदिवासियों में भी सरकार के खिलाफ जबरजस्त नाराजगी है। ऐसे में भाजपा ब्रह्मानंद नेताम को चुनावी मैदान पर उतरकर पॉलिटिकल गेम खेल सकती है। नेताम की समाज में पैठ का फायदा भाजपा को मिल सकता है। इनके बाद तीसरा नाम देवलाल दुग्गा का है। ये 2003 में कांग्रेस के मनोज मंडावी को हराकर विधानसभा पहुंचे थे। इन्हे भानुप्रतापुर का अनुभवी नेता माना जाता है। इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने देवलाल दुग्गा को ही अपना प्रत्याशी बनाया था। तब कांग्रेस के मनोज मंडावी ने उन्हें 27 वोटों के मार्जिन से हराया था।
इन तीनों के अलावा भाजपा नेता सतीश लाठिया, कांकेर के भाजपा जिला उपाध्यक्ष गौतम उईके, युवा मोर्चा से हेमेंद्र ठाकुर और भाजपा सरकार के दौरान मंत्री रही लता उसेंडी की बहन किरण नरेटी और रूक्मणी उइके का नाम भी चर्चा में है। शायद भाजपा में बदलाव की लहर के चलते संगठन इनपर भी दांव लगाए। बहरहाल, भानुप्रतापुर के उपचुनाव पर पूरे प्रदेशभर की नजर है। माना जा रहा है कि इस उपचुनाव के नतीजे से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 2023 विधानसभा के चुनाव में छत्तीसगढ़ की सत्ता पर किसकी सरकार बैठेगी।
Home Breaking News Chhattisgarh Politics: भानुप्रतापपुर उपचुनाव में भाजपा इन चेहरों पर लगा सकती है...