फ़टाफ़ट डेस्क. कोरोना महामारी को रोकने के लिए वैक्सीन से बड़ा कोई हथियार सरकार के पास नहीं है. ऐसे वक्त में जब एक बार फिर देश कोरोना की तीसरी लहर की लगभग चपेट में इस तरह की वीडियो सवाल खड़ा करती है. हाल ही में सरकार ने 15 साल से ऊपर वाले किशोरों के लिए वैक्सीनेशन शुरु कराया है. वैक्सीन लगवाने वाले लोग नपुंसक हो जाएंगे. इस तरह के वीडियो पहले भी सोशल मीडिया पर आते रहे हैं. हाल ही में फिर से दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाई हैं, वे बच्चे पैदा करने में अक्षम है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग इसका पहले ही खंडन कर चुका है कि ये बाते सिर्फ भ्रमित करने वाली हैं.
वीडियो पर सफाई देते हुए राष्ट्रीय टीकाकरण परामर्श समूह (एटीएजीआई) के कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा कि जब पोलियो वैक्सीन आई थी, और भारत तथा दुनिया के अन्य भागों में दी जा रही थी, तब उस समय भी ऐसी अफवाह फैली थी कि जिन बच्चों को पोलियो दी जा रही है, आगे चलकर उन बच्चों की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इस तरह की गलत सूचना एंटी-वैक्सीन लॉबी फैलाती है. उन्होने बताया है इस तरह की भ्रमित बातों में नहीं आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हमें यह जानना चाहिए कि सभी वैक्सीनों को कड़े वैज्ञानिक अनुसंधान से गुजरना पड़ता है. किसी भी वैक्सीन में इस तरह का कोई बुरा असर नहीं होता. डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा, ‘मैं सबको पूरी तरह आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस तरह का कुप्रचार लोगों में गलतफहमी पैदा करता है. हमारा मुख्य ध्यान खुद को कोरोना वायरस से बचाना है, अपने परिवार और समाज को बचाना है. लिहाजा, सबको आगे बढ़कर टीका लगवाना चाहिए.’ हालांकि देश वैक्सीनेशन को लेकर इस तरह की बातों को पहले ही नकार चुका है. विभाग का कहना है ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.